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किसानों की सरकार से गुहार, औने पौने दामों पर नहीं बेचनी पड़े उपज

locationजयपुरPublished: Oct 19, 2019 06:56:02 pm

Submitted by:

Ashish

Minimum Support Price 2019 : न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए किसानों में होड़ मची हुई है।

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जयपुर
Minimum Support Price 2019 : न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए किसानों में होड़ मची हुई है। आलम यह है कि उपज बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीयन शुरू होने के तीन चार दिन में ही राजस्थान में एक लाख से ज्यादा किसान पंजीयन करवा चुके हैं। बाजार में औने पौने दाम मिलने के कारण किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपच बेचना चाहते हैं ताकि उन्हें उपज का लागत मूल्य तो कम से कम मिल सके। लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर उपज खरीदने प्रावधानों ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। किसानों की मांग के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हाल ही में एक पत्र लिखकर खरीद की अवधि और खरीद की सीमा बढ़ाने की मांग की है।
दरअसल, अभी राज्य में मूंग, उड़द, सोयाबीन और मूंगफली की एमएसपी पर खरीद की जा रही है। राज्य से करीब 11 लाख मीट्रिक टन उपज की खरीद होनी है। जबकि राज्य में इन फसलों का उत्पादन प्रस्तावित खरीद से तीन से चार गुना तक ज्यादा है। ऐसे में किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है कि वो अपनी उपज सही मूल्य पर आखिर कैसे बेंचे। किसान महापंचायत के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का यह कहना है कि किसानों से कुल पैदावार की सिर्फ 25 फीसदी ही उपज खरीदी जाती है। खरीद की अवधि भी सिर्फ 90 ही दिन की होती है। उपज खरीद की सीमा भी एक बार में अधिकतम 25 क्विंटल तक निर्धारित है। खरीद के कई अन्य मानकों को भी देखा जाता है। ऐसे में किसानों को अपनी पूरी उपज का उचित मूल्य ही नहीं मिल पाता है।
सालभर होनी चाहिए उपज खरीद
ऐसे में किसान पंचायत की तरफ से सालभर उपज खरीद करने की व्यवस्था करवाने की मांग की जा रही है। वहीं, राज्य की ओर से केन्द्र से उपज की खरीद अवधि 90 दिन से बढ़ाकर 150 दिन करने, कुल पैदावार उपज का आधा हिस्सा एमएसपी पर खरीदने के साथ ही एक दिन में किसान से खरीदी जाने वाली उपज की सीमा को बढ़ाए जाने की मांग की है। किसान महापंचायत का यह कहना है कि सरकार उपज खरीद का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है, बाजार में किसानों को अधिकांश उपजों का मूल्य उससे कम ही मिलता है।
इसलिए परेशान होते हैं किसान
व्यापारी यह सोच उपज को औने पौने दामों में खरीदने की कोशिश करते हैं कि एमएसपी पर किसान अपनी पूरी उपज तो बेच ही नहीं पाएगा। ऐसे में किसान को मजबूर होकर एमएसपी से कम कीमत पर उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। किसान महापंचायत की ओर से सरकार से यह मांग की जा रही है कि एमएसपी पर खरीद की आॅनलाइन पंजीयन की व्यवस्था की तरह खरीददारी की ई-व्यवस्था की जाए। गिरदावरी, खसरा नंबर की जानकारी सरकार खरीद केन्द्रों पर भिजवाए। ताकि किसानों को इन औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए चक्कर नहीं काटने पड़े।
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