वेटरनरी कॉलेज में गाय के दूध से बनेंगे प्रोडक्ट,खुलेंगे पार्लर
जयपुरPublished: Nov 22, 2019 10:26:20 am
जयपुर,उदयपुर और बीकानेर कॉलेज में होंगे गाेवशं दूध उत्पादक पार्लर शुरु
Products to be made from cow’s milk in Veterinary College
जयपुर
वेटरनरी विश्वविद्यालय से जुड़े संघटक महाविद्यालयों में अब गाय के दूध से प्रोडक्ट बनाए जाएंगे। इन प्रोडक्ट को बेचने के लिए पार्लर भी शुरू होंगे जिनसे मिलने वाली राशि को गोशालाओं के विकास में खर्च किया जाएगा। यह नवाचार वेटरनरी विश्वविद्यालय से जुड़े जयपुर,उदयपुर और बीकानेर संघटक कॉलेज में शुरू होगा। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विष्णु शर्मा के अनुसार विश्वविद्यालय राज्य के तीनों महाविद्यालय परिसरों में देशी गौवंश दूध उत्पादक पार्लर शुरु करके लोगों को गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध करवाए जाएंगे। गाय के दूध और इससे बनने वाले प्रोडक्ट की डिमांड होने के कारण अब यह प्रोडक्ट बनाए जाएंगे। जिससे की वेटरनरी के स्टूडेंटस गायों की भी देखभाल भी कर सकेंगे। इस तरह के नए नवाचार से गायों की देखभाल यहां के विद्यार्थी कर सकेंगे और उनका सही पालन पोषण भी हो सकेगा। वहीं प्रोडक्ट बेचने से मिलने वाली राशि से गौशालाओं में संसाधन जुटाने में लगाए जाएंगे। इसके लिए काैशल विकास के लिए लघु पाठ्यक्रम शुरु करने के साथ ही गाैशाला तकनीकी सुद्ढीकरण के तहत सभी महाविद्यालयों, अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्रों द्वारा एक-एक गौशाला काे गोद लिया जाएगा। यह कार्य वेटरनरी विश्वविद्यालय दशाब्दी वर्ष के माैके पर करेगा। जिसमें पशु कल्याण के लिए अनेक कार्य नवाचार के रूप में किए जाएगें। वहीं प्रदेश के 13 जिलों में पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्रों के वैज्ञानिक राज्य में पशु पालकों के लिए पैकेज नवाचार, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण और प्रशिक्षण द्वारा लोगों में चेतना लाएंगे। यह कार्य भी विश्वविद्यालय की ओर से ही किया जाएगा। आपको बता दे कि गाय के दूध से बने प्रोडक्टस की इस समय काफी डिमांड हैं। इसी तरह जयपुर में अक्षय पात्र भी हिगोनियां गौशाला को गोद लेकर वहां गाय के दूध से बने प्रोडक्ट को मार्केट में बेच रहा हैं। अक्षय पात्र गाय का दूध,घी,रसगुल्ला,पनीर सहित कई तरह के प्रोडक्ट को मार्केट में बेच रहा हैं। वहीं इसी तरह से कई उत्पाद है जो गाय के दूध से बने हैं वह भी हिंगोनियांं गौशाला के गायों के दूध से बन रहे हैं। वहीं इनके बेचने पर जो पैसा मिल रहा है उसे गायों के देखभाल और उनके विकास पर खर्च किया जा रहा हैं।