मामलूम हो कि प्रोफेसर शर्मा ने कुछ दिनों पहले ही इंटरनेशनल पीस फाउंडेशन मूवमेंट द्वारा शांतिदूत इंटरनेशनल अवार्ड की घोषणा की है। जिसे वो स्वच्छता दूत इंटरनेशनल अवार्ड के तौर पर आगे ले जाने का काम करेंगे। इससे पहले भी उन्हें कई अर्वाड मिल चुके हैं। जबकि प्रोफेसर शर्मा का मानना है कि जिस देश को दुनिया के लोग वंडर दैट वाज इंडिया यानी अद्भुत भारत के नाम से पुकारते थे, वहां आज साफ-सफाई को लेकर समस्या इतनी विकराल क्यों हो गई। ये सोचने की बात है। उनका कहना कि खुद देश के पीएम स्वच्छता की दहलीज पर आखिर क्यों अपील कर रहे है कि हम स्वच्छ रहें देश को गौरवशाली स्वच्छ भारत बनाएं। आखिर हमसे कहां चूक हो गई।
प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि वे आई टी आधारित सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जोड़कर प्रति दिन कम से कम एक कार्य स्वच्छता को समर्पित करने और उसकी फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करके लोगों को मोटीवेट करने की शुरुआत करेंगे। इसके लिए उन्होंने पीएम कार्यालय से स्कूल पाठ्यक्रम में स्वच्छता सम्बन्धी लेख को जोड़ने के साथ कॉलेज और विश्वविद्यालयों में केस स्टडी के रुप में अनिवार्य रुप से शामिल करने की अपील भी की है। तो वहीं इस संबंध में वह जल्द ही पीएम मोदी को एक सलाहकारी नोट तैयार कर भेजेंगे जिसमें सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, वैज्ञानिक, तकनीकी एवं इंजीनियरिंग रिसर्च में स्वच्छता की डायमेंशन कवर करने की अहम जानकारी शामिल होगी।
प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि अपने आधिकारिक विदेशी दौरों के दौरान उन्होंने देखा है कि विकसित तो विकसित हैं ही यहां तक कि विकाशील गरीब देश भी आज ये समझने लगे हैं कि स्वच्छता से ही देश को निरोगी एवम प्रगतिशील बनाया जा सकता है। उन्होंने अपनी जर्मनी के अनुभव साझा करते हुए कहा कि जर्मनी व बेल्जियम में हर रिसर्च प्रोजेक्ट में फंडिंग से पहले और बाद में समीति जरुर ये बात पूछती है कि आखिर इस प्रोजेक्ट का सामाजिक एवं आर्थिक योगदान में कितनी भूमिका रहेगी।
देश को स्वस्छता की ओर आगे ले जाने के लिए प्रोफेसर शर्मा इलेक्ट्रॉनिक कचरे और उसके डिस्पोजल को लेकर भी देश में सख्त कानून और उसके पालन हेतु दिशा निर्देश के साथ सामाजिक एडवाइजरी पॉलिसी बनाने के लिए भी अपील करेंगे। उनका मनना है कि इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट दुनियां की स्वच्छता में बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है जो कि भारत जैसे विकासशील देश की लिए तो बहुत ही ज्यादा खतरनाक है क्योंकि विकसित देश आज ग्लोबल ट्रेड की नाव में बैठकर अपनी आउटडेटिड टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स जो कि ग्रीन सर्टिफिकेशन की कसौटी पर खरे नहीं उतरे और उनको उनके देश में बेचा नहीं जा सकता है।
पीएम के स्वच्छता ही सेवा अभियान से जुड़ने जा रहे प्रोफेसर डी पी शर्मा इस प्रोजेक्ट को नीट इंडिया, क्लीन इंडिया, ग्रीन इंडिया ऑन अर्थ और साइबर स्पेस के रूप में देखते हैं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र और अपील को वे अपनी जिम्मेदारी रूप में निभाएंगे।