दोनों के बीच विवाद होने पर युवती ने 2 फरवरी 2020 को धोखाधड़ी से बलात्कार का मामला दर्ज करवाया। इसमें कहा कि उसके अश्लील फोटोग्राफ बनाकर ब्लैकमेल किया गया। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में एफआइआर रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। अधिवक्ता बलवदा ने कोर्ट ने याचिकाकर्ता के गुजरात में कस्टम अधिकारी के पद पर ड्यूटी पर होने के संबंध में दस्तावेज पेश किए। इसी के साथ सोशल मीडिया पर चैट का रेकॉर्ड रखते हुए कहा कि पूरा मामला बनावटी है। न्यायाधीश फरजंद अली अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने विवाह से कब इनकार किया यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन लगता है कि यह संभवत:2018 में हुआ होगा।
इसके बाद भी शिकायतकर्ता युवती का लंबे समय तक चुप रहना और कोई कार्रवाई करना गंभीर संदेह उत्पन्न करता है। इतना ही नहीं युवती इसके बाद भी याचिकाकर्ता के साथ लंबे समय तक संबंध में रही और कोई कदम नहीं उठाया। कोर्ट ने माना कि युवती का परिवार याचिकाकर्ता के साथ विवाह करने को राजी नहीं था।
देखना होगा धोखाधड़ी है या नहीं
देखना होगा धोखाधड़ी है या नहीं
कोर्ट ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन रुटीन केस हो चुके हैं कि युवक-युवती प्रेम में पड़कर शारीरिक संबंध कायम कर लेते हैं और बाद में उनमें ब्रेकअप हो जाता है। इस मामले में भी दोनों प्रेम में पड़कर संबंध बनाते रहे लेकिन समय के साथ दोनों के संबंध खराब हो गए। यदि किसी अनपढ़ महिला को विवाह का वादा करके शारीरिक संबंध बनाकर इनकार करने पर माना जा सकता है कि उसकी सहमति धोखाधड़ी से ली है। लेकिन यदि शिकायतकर्ता पढ़ी-लिखी और सेवारत है तो यह कहना कि सहमति धोखे से ली है उसे सही नहीं मान सकते।