जयपुर

भंसाली की फिल्म पद्मावती पर संघ की खरी-खरी तो वहीं राजस्थान के बाद पटना-लखनऊ तक पहुंचा सर्व समाज का गुस्सा

संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म ‘पद्मावती’ का विरोध, सपने में भी नहीं देनी चाहिए राष्ट्र के महानायक-नायिकाओं के अपमान की स्वीकृति

जयपुरNov 15, 2017 / 11:07 am

rajesh walia

जयपुर। संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म पद्मावती का विरोध रुकने के बजाय तेज होता जा रहा है। प्रदेश से निकलकर यह विरोध देश के अन्य राज्यों में भी तेज होता नजर आ रहा है। गुजरात में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के साथ मिलकर सूरत और गांधीनगर में बड़ी रैली निकाल चुकी करणी सेना की ओर से अब देश के अन्य राज्यों में भी इसी तरह की रैलियां निकाल कर विरोध को ओर तेज किया जाएगा। करणी सेना ने फैसला किया कि कुछ भी हो जाए इस फ़िल्म को रिलीज नहीं होने दिया जाएगा। वहीं करणी सेना ने चेतावनी भी दी है कि कानून व्यवस्था बिगड़ने की जिम्मेदारी सरकार की होगी।
 

करणी सेना के संरक्षक लोकेन्द्रसिंह कालवी ने बताया कि जब तक पद्मावती फिल्म से विवादित दृश्य नहीं हटाए जाएंगे तब तक फिल्म को देश के किसी भी सिनेमाघर में प्रदर्शित नहीं होने दिया जाएगा। कालवी ने बताया कि इस फिल्म के जरिए ना केवल इतिहास के साथ छेड़छाड़ है। बल्कि फिल्म के माध्यम से देश के युवाओं और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत रही महारानी पद्मावती के चरित्र पर लांछन लगाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश के बाद अब करणी सेना उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में भी रैली निकाल कर विरोध करेगा। कालवी ने बताया कि 19 नवम्बर को गुडगांव, 26 नवम्बर को पटना और 27 नवम्बर को लखनऊ में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद भोपाल में भी विरोध प्रदर्शन होगा।
 

तो वहीं दूसरी ओर संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से भी सवाल उठाए जा रहे हैं, और जयपुर से प्रकाशित संघ का मुखपत्र कही जाने वाली पत्रिका ‘पाथेय कण’ के नए अंक के संपादकीय में फिल्म पद्मावती में खिलजी और रानी पद्मावती के प्रेम-प्रसंग दिखाने की बात पर कड़ी आपत्ति उठाई है। संपादक ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हमारी परम्परा, इतिहास, राष्ट्र-नायकों और श्रद्धा केन्द्रों का अपमान करने पर सवाल उठाते हुए इसे सेकुलर-लिबरल-नक्सल गठजोड़ भद्दा खेल बताया है।
 

पाथेय पत्रिका के संपादक कन्हैया लाल चतुर्वेदी ने महारानी ‘पद्मावती’ को राष्ट्रीय गौरव बताते हुए कहा है कि, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्र के महानायक-नायिकाओं के अपमान की स्वीकृति सपने में भी नहीं देनी चाहिए। चतुर्वेदी ने लिखा है कि खिलजी को दर्पण में रानी का प्रतिबिंब दिखाने के भी कोई प्रमाण नहीं हैं, उन्होंने इसे बाद में गढ़ा हुआ किस्सा बताया है। उन्होंने लेख में कहा है कि यदि हमारा फिल्मी जगत हॉलीवुड की नकल करने में सिद्धहस्त है तो हॉलीवुड की अच्छाइयों को भी अपनाया जाना चाहिए।”
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