कोरोना संकट (Corona crisis) को देखते हुए एक ओर राज्य सरकार ( state government ) सितंबर महीने की सैलेरी से कार्मिकों की वेतन कटौती ( salary cut of personnel ) के निर्देश दे चुकी है, वहीं दूसरी ओर वेतन कटौती के विरोध में कर्मचारी संगठनों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य के कई जिलों में धारा 144 लगा दिए जाने के चलते कर्मचारी संगठन ( employees’ organizations ) और उनके प्रतिनिधि सोशल मीडिया पर एक्टिव होकर वेतन कटौती का विरोध कर रहे हैं। कई कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों के साथ ही अन्य कार्मिकों की ओर से व्हाटसएप पर डीपी लगाकर वेतन कटौती का विरोध जताया जा रहा है। साथ ही सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों के जरिए भी विरोध जताया जा रहा है। कर्मचारियों की ओर से इन दिनों व्हाटसएप पर…मैं वेतन कटौती का विरोधी हूं..स्लोगन लिखी डीपी लगाकर विरोध जताया जा रहा है।
वहीं, सरकारी स्तर पर वित्त विभाग की ओर से वेतन कटौती के निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। अब अलग अलग विभागों में वित्त विभाग के इन निर्देशों का हवाला देते हुए पालना करते हुए वेतन कटौती किए जाने के लिए आहरण वितरण अधिकारियों को इन्हें भेजा जा रहा है। जिला कलेक्टर्स के माध्यम से वेतन कटौती की कार्रवाई के लिए तैयारियां की जा रही हैं।
कर्मचारी संगठनों के जारी विरोध के बीच हर महीने वेतन कटौती करने पर कर्मचारी नेता और राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री अंजनी कुमार शर्मा का कहना है कि कोरोना संकट में सरकारी कार्मिकों ने अपना पूर्ण सहयोग किया है। इसके बावजूद भी वेतन कटौती करना अन्यायपूर्ण कदम है। पहले के स्थगित वेतन का सरकार को तुरंत भुगतान करवाना चाहिए। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने कोरोना संकट के चलते सितंबर महीने से राज्य में कार्मिकों की एक से दो दिन की वेतन कटौती किए जाने का निर्णय लिया है। इस वेतन कटौती से चिकित्सा, न्यायालय, पुलिस कांस्टेबल के साथ ही चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी और लेवल 1 से लेवल 4 पे बैंड में वेतन ले रहे कर्मचारियों को मुक्त रखा गया है।