चारदीवारी क्षेत्र में लोगों का उत्साह देखने को मिला। परकोटे के बाहरी क्षेत्र राजापार्क, झोटवाडा, मानसरोवर, सांगानेर, सी स्कीम, गांधी नगर, बनीपार्क, आदर्श नगर सहित पूरे शहर में बच्चे, युवा और बुजुर्गों ने घर—घर थाली—ताली बजाई। जयपुर फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष सियाशरण लश्करी ने बताया कि महाभारत काल से ही विजय की कामना के लिए लडाई से पहले शंखनाद व धोसे बजाए जाते थे, लेकिन आधुनिकता ने उसे भूला दिया। अब फिर कोराना वायरस से लडाई जीतने के लिए देश एकजुट हुआ और थाली—ताली व शंखनाद कर परंपरा को जीवंत किया।
शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज ने बताया कि यह हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है, हर खुशी के मौके पर लोग थाली बजाते आए हैं। शाम के समय शंख, घंटी की आवाजें गूंजा करती थी।