scriptकोरोना वॉरियर्स की सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका | Public interest litigation in the High Court for the protection of | Patrika News

कोरोना वॉरियर्स की सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका

locationजयपुरPublished: Apr 03, 2020 10:00:51 pm

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

याचिका में वॉरियर्स की सुरक्षा एवं संरक्षण की मांग, अति आवश्यक बताते हुए जल्द सुनवाई की गुहार

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जयपुर।

कोरोना वॉरियर्स की सुरक्षा और संरक्षण के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर हुई है। इस याचिका में अदालत से डॉक्टर्स, नर्स, पुलिसकर्मी व अन्य सुरक्षाकर्मियों एवं सर्वेयर को सुरक्षा और संरक्षण के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने की मांग रखी है। याचिका को अति आवश्यक प्रकृति का बताते हुए जल्द सुनवाई की गुहार की है।
राजस्थान उच्च न्यायालय की अधिवक्ता शालिनी श्योरॉण ने जनहित याचिका में कहा कि अपनी जान जोखिम में डालकर डॉक्टर्स, नर्स, चिकित्साकर्मी लगातार कोरोना संक्रमिक और संभावित रोगियों की रात दिन सेवा कर रहे हैं। इसी के साथ सुरक्षाकर्मी, पुलिस, मीडियाकर्मी और सामाजिक संगठन के लोग लगातार काम कर रहे हैं। इन कोरोना वारियर्स को सुरक्षा एवं संरक्षण की आवश्यकता है। बीते दिनों इनके साथ मारपीट, दुर्रव्यवहार की शिकायत आई है ऐसे में कोरोना वारियर्स के काम को बाधित किया गया तो पूरी मानवता को संकट खड़ा हो सकता है। अधिवक्ता श्योरॉण ने अदालत से कोरोना वारियर्स को पुख्ता सुरक्षा देने के साथ ही कानूनी संरक्षण की भी मांग की है। याचिका में कहा है कि कोरोना वारियर्स के काम को बाधित करने के लिए झूठे मुकदमें भी कुछ लोग दर्ज करवा सकते हैं ऐसे में काम के दौरान इस तरह के मुकदमें नहीं होने चाहिए और सोश्यल डिस्टेंसिंग को लेकर एक मापदंड तय किया जाना चाहिए। कोरोना संक्रमिक, संभावित संक्रमिक, ट्रेवल हिस्ट्री सहित अन्य जानकारियों को समाहित करते हुए एक डाटाबेस तैयार किया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए की कोरोना वॉरियर्स पर हमले की स्थिति में एनएसए एक्ट के तहत कार्रवाई की जानकारी दे जिसमें एक साल तक बिना जमानत के गिरफ्तारी तक प्रावधान है ताकि इस तरह के हमले कोरोना वारियर्स पर नहीं हो।
टेली मेडिसीन को बढ़ावा दें

याचिका में कहा है कि आईएमसी एक्ट 1952 के तहत केंद्र सरकार ने 25 मार्च को टेलीमेडिसीन गाइडलाइन जारी कर दी है। ताकि टेलीफोन, मोबाइल और वीडियो कॉलिंग के जरिए प्रशिक्षित चिकित्सकों का परामर्श लिया जा सके इसके प्रचार प्रसार और सही तरीके से लागू करने के बाद ओपीडी को कम किया जा सकता है। सरकार को चाहिए कुछ विशेष चिकिक्सालय कोरोना वायरस के पीड़ितों के लिए तय कर दें ताकि सामान्य मरीज इनसे प्रभावित नहीं हो।
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