अधिवक्ता नाहटा ने याचिका में बसपा के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय को रद्द करने के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितंबर 2019 के आदेश को अपास्त करने की गुहार की है। इसी के साथ बसपा के टिकट पर जीते सभी 6 विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की गुहार की है। बसपा से कांग्रेस में विलय से जुड़े सभी दस्तावेजों को अमान्य घोषित करने की मांग भी की है। याचिका में कहा है कि 6 विधायकों ने जो पार्टी पॉजिशन बदली है उस रोक लगाई जाए और जहां-जहां इन विधायकों को कांग्रेस का बताया गया, उस रिकार्ड को शून्य करार किया जाए। विधानसभा चुनावों के बाद 16 सितंबर 2018 को जारी किये गये गजट नोटिफिकेशन के अनुसार बनी दलो की स्थिती को पुन: बहाल किया जाये।
राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ में मंगलवार को बसपा और भाजपा विधायक मदन दिलावर के स्टे प्रार्थना पत्र पर सुनवाई होगी। दोनों ने ही विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितंबर 2019 के आदेश पर रोक लगाने की गुहार की है। विधानसभा अध्यक्ष ने 18 सितंबर 2019 को बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को मंजूरी दी थी। याचिका पर सुनवाई से पहले सोमवार को बसपा की ओर से जवाब दाखिल किया गया है। इसी के साथ कांग्रेस ने पक्षकार बनने का प्रार्थना पत्र लगाया है ऐसे में न्यायालय कांग्रेस के प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई कर सकती है।