पंजाब निकाय चुनाव के नतीजों को राजस्थान से जोड़कर देखे जाने के कई कारण हैं। दोनों राज्यों की राजनीतिक परिस्थितियां और मौजूदा हालात लगभग एक जैसे ही नज़र आते हैं। एक-दूसरे से सटे दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं। दोनों राज्यों का नेतृत्व पार्टियों के दिग्गज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और अशोक गहलोत कर रहे हैं। फिलहाल दोनों ही राज्यों में कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन चरम पर पहुंचा हुआ है।
किसान आंदोलन के बीच पंजाब निकाय चुनाव के नतीजों ने ज़ाहिर है राजस्थान बीजेपी को भी झटका दिया ही होगा। पंजाब की तर्ज़ पर ही राज्य में भी किसान आंदोलन गर्माया हुआ है और किसान वोट बैंक भाजपा से नाराज़ चल रहा है। पंजाब चुनाव नतीजों को भी किसानों की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में इन नतीजों ने प्रदेश भाजपा को उपचुनाव से पहले बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है।
पंजाब में निकाय चुनाव नतीजों ने जहां प्रदेश भाजपा को आत्म-मंथन करने पर मजबूर कर दिया है, तो वहीं कांग्रेस खेमे में नई ऊर्जा का संचार किया है। दरअसल, किसान आंदोलन के बीच विभिन्न राज्यों में हो रहे चुनावों में कांग्रेस को लगातार बढ़त हासिल हहो रही है। ऐसे में इस आंदोलन को भुनाने में कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ रही है। ज़ाहिर है इस लहर का फ़ायदा कांग्रेस प्रदेश के आगामी विधानसभा उपचुनाव में भी लेती नज़र आएगी।
पड़ोसी राज्य के निकाय चुनाव में कांग्रेस की शानदार परफोर्मेंस से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उत्साहित दिख रहे हैं। नतीजे सामने आने के साथ ही गहलोत ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा पंजाब कांग्रेस कमेटी और तमाम कांग्रेसजनों को बधाई दे डाली। अपने सन्देश में उन्होंने विरोधी दल भाजपा का नाम लिए बगैर निशाना साधते हुए कहा, ‘जनता ने एक बार फिर नफरत की राजनीति को नकार दिया है।‘
उपचुनावों से पहले किसान आंदोलन प्रदेश में अपने पांव पसारता जा रहा है। जगह-जगह किसान महापंचायतें हो रही हैं जिसमें राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव और चंद्रशेखर सरीखे नेता शामिल हो रहे हैं। लगातार हो रही महापंचायतों में किसानों को भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ ज़बरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। ये मौजूदा परिस्थितियां भाजपा के लिए बड़ी टेंशन साबित हो रही हैं।
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की नाराजगी झेलने की टेंशन के बीच प्रदेश भाजपा को पार्टी में अंदरुनी कलह और गुटबाजी का भी सामना करना पड़ रहा है। वसुंधरा खेमे और पूनिया खेमे के गुट एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर सामने आने लगे हैं। पार्टी नेता भले ही मीडिया के सामने गुटबाजी को नकार रहे हों, लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो अन्दरखाने के हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं।
– दोनों राज्यों की परिस्थितियां कमोबेश एक जैसी
– पंजाब में भाजपा का हुआ सूपड़ा साफ़, कांग्रेस खेमा उत्साहित
– राजस्थान की चार सीटों पर होने हैं विधानसभा उपचुनाव
– कांग्रेस को लगातार मिल रहा किसान आंदोलन का सियासी फ़ायदा