राजस्थान में पिछले साल 23 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं एमएसपी पर खरीदा गया, जबकि इस साल 8 हजार मीट्रिक टन के आसपास ही खरीद हुई। अब श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ में एमएसपी पर खरीद की तारीख 30 जून तक बढ़ाई गई है। कारण बाजार में गेहूं के भाव में तेजी बताया जा रहा है, लेकिन किसानों के प्रतिनिधि और भारतीय खाद्य निगम के अधिकारियों के अनुसार इसका कारण व्यापारी हैं, जिन्होंने रूस—यूक्रेन युद्ध के नाम पर भारतीय गेहूं की वैश्विक मांग बढ़ने का अंदेशा जताकर गेहूं की जमाखोरी की है।
कारण: सरकारों ने सरसों, चना व मूंगफली की खरीद की सीमा तय कर रखी है, गेहूं की तय नहीं है।
पंजाब में देशभर में एमएसपी पर गेहूं की सबसे अधिक खरीद हुई। पिछले साल पंजाब में 132 लाख मीट्रिक टन के आसपास खरीद हुई, जबकि इस बार 96.47 लाख मीट्रिक टन हुई है। एमएसपी पर 46 लाख मीट्रिक टन खरीद के साथ मध्यप्रदेश दूसरे स्थान और हरियाणा 41.81 लाख मीट्रिक टन खरीद के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
असर: व्यापारी मनचाहा स्टॉक रखने को स्वतंत्र हैं, इससे बाद में गेहूं की बाजार कीमत इन व्यापारियों की इच्छा से तय होगी।
गुजरात सहित छह राज्यों में गेहूं खरीद शून्य
गेहूं खरीद में इस बार सरकारी एजेंसियां फिसडडी साबित हो रही हैं। इस बार गुजरात सहित छह राज्यों में गेहूं खरीद शून्य रही। वहीं उत्तर प्रदेश में यह खरीद 3.23 मिट्रिक टन रही।