भगवान ब्रह्मा त्रिदेवों में से एक देव हैं। ब्रह्माजी को सृष्टि का रचयिता माना गया है। मान्यता है कि सरस्वतीजी ने ब्रह्माजी को श्राप दे दिया था कि पृथ्वी के लोग कभी उनकी पूजा नहीं करेंगे। बाद में उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ तो उन्होंने कहा कि ब्रह्माजी पुष्कर में पूजे जाएंगे। एक अन्य मत के अनुसार ब्रह्माजी के मानस पुत्र नारद ने उन्हें भुला दिए जाने का यह श्राप दिया था। यही कारण है कि पुष्कर के अलावा और कहीं भी ब्रह्माजी का मंदिर नहीं है।
पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि पद्म पुराण में पुष्कर झील के आविर्भाव का उल्लेख है. इसके अनुसार यहां झील का निर्माण उस समय हुआ ब्रह्माजी के हाथ से कमल का फूल पृथ्वी पर गिर पड़ा। इससे पानी की तीन बूदें पृथ्वी पर गिर गयी, जिसमें एक बूंद पुष्कर में गिरी। इसी बूंद से पुष्कर झील का निर्माण हुआ। विद्वानों के अनुसार पुष्कर शब्द का अर्थ भी यही होता है— ऐसा तालाब जिसका निर्माण फूल से हुआ हो।
पुष्कर पहुंचने के लिए सबसे समीपी रेलवे स्टेशन अजमेर है. राजस्थान के विभिन्न भागों से पुष्कर के लिए बस व टैक्सी चलती है।
राजधानी जयपुर से पुष्कर की दूरी 145 किमी और दिल्ली से 415 किमी है। जयपुर हवाई अड्डे से भी टैक्सी या बस से पुष्कर पहुंच सकते हैं। अजमेर के घूंघरा और पुष्कर में देवनगर में हैलीपैड भी हैं।