एकेडमिक नंबर्स चेंज करके आरपीएससी ने कहीं कुछ अभ्यर्थियों का फायदा तो नहीं पहुंचाया। इसको लेकर भी कई अभ्यर्थी आरोप लगा रहे है। उनका कहना है कि 10वीं, 12वीं और स्नातक में 2 अंक का अंतर परिणाम पर असर डाल सकता है। इसलिए आरपीएससी को साक्षात्कार की नई तारीखों के साथ—साथ अंकों के विभाजन भी दोबारा से संशोधित करना चाहिए।
इससे पहले विभिन्न पदों के लिए हुए साक्षात्कार में आरपीएससी ने 10वीं और 12वीं में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को 5, द्वितीय को 4 और तृतीय को 3 अंक दिए है। जबकि पीआरओ में उन्होंने क्रमश: 5, 3 और 2 ही दिए है। ऐसे में द्वितीय श्रेणी वालों को 2 अंक का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा इन्हीं पदों के साक्षात्कार में स्नातक डिग्री पर पहले 10 अंक में से प्रथम श्रेणी वाले अभ्यर्थियों को 10, द्वितीय को 8 और तृतीय को 6 अंक दिए थे। वहीं, पीआरओ के पैटर्न में क्रमश: 10, 6 और 4 अंक ही दिए है। यहां पर सबसे ज्यादा नुकसान यूजी के साथ अनुभवधारकों को हो रहा है।
— सहायक टाउन प्लानर— प्रथम श्रेणी 5, द्वितीय 4, तृतीय 3
— सहायक सांख्यिकी अधिकारी— प्रथम 5, द्वितीय 4 तृतीय 3
— सहायक कृषि अधिकारी— 75 प्रतिशत प्लस अंक वालों को 5, प्रथम को 4, द्वितीय को 3, पास को 2
— सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी— 75 प्रतिशत प्लस को 5, प्रथम को 4, द्वितीय को 3 और पास को 2
अभ्यर्थियों ने बताया कि जैसे पीआरओ में यूजी और पत्रकारिता में डिप्लोमा के अलावा स्नातक और स्नातकोत्तर (हिंदी व अंग्रेजी) को भी अलग—अलग कर 5—5 अंक में विभाजित किया है। उसी तरह स्नातक और योग्यता के पत्रकारिता के 5 वर्ष के अनुभव को भी अलग—अलग 5—5 अंक में बांटा जाए। ऐसा नहीं होने पर सामान्य स्नातक और 5 अनुभव साल के अनुभव की योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को नुकसान हो जाएगा।