चिकित्सा मंत्री ने कहा कि जब भाजपा सरकार थी, तब जेके लोन अस्पताल कोटा के अस्पताल प्रशासन ने सुविधाओं के लिए 2015 में 8 करोड रुपए मांगें, 2016 में 9 करोड़ 25 लाख रुपए मांगे, 2017 में 30 करोड़ की मांग की, लेकिन भाजपा सरकार ने एक रुपया नहीं दिया। 300 बैड अस्पताल की मांग लगातार उठती रही। पांच साल तक अस्पताल प्रशासन चिल्लाता रहा पर वहां की सरकार ने एक कदम नहीं उठाया। एक पैसा जारी नहीं किया। यह अस्पताल संभागीय मुख्यालय का सबसे बड़ा अस्पताल है।
हमें अभी आए एक साल ही हुआ
पांच साल का हिसाब हम नहीं मांग सकते। हमें अभी सरकार में आए हुए एक साल हुआ है। चार माह आचार संहिता में निकल गए। हमने अस्पताल में 26 वार्मर को ठीक करवाया। वहां सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम को जल्द शुरू करने की योजना बनाई है। नर्सिंग कर्मचारियों और डॉक्टरों की संख्या को भी बढ़ाया गया है। इन्फेक्शन को भी कम करने के प्रयास किए हैं। खराब उपकरणों की मेंटीनेंस के लिए एक करोड़ रुपए जारी किए हैं। बच्चों का अलग से ओपीडी, इम्यूनाइजेशन क्लिनिक बनाया। इसके विपरीत भाजपा को सिर्फ राजनीति करना आता है। यदि उपचार में लापरवाही से बच्चों की मौत हो रही है, तो भाजपा को ऑडिट करानी चाहिए।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार मृत्युदर में कमी लाई है। पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि 2014 में 7.62 प्रतिशत, 2015 में 60.17 प्रतिशत, 2017 में 6.16, 2018 में 6.11 और 2019 में 5.5 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा कि जिस आइसीयू में गंभीर हालत में बच्चे होते हैं। वहां भाजपा के कार्यकर्ता चप्पल लेकर घुस रहे हैं। क्या उससे बच्चों की जान को खतरा नहीं है। यदि किसी बच्चे की मौत हो जाती है तो जिम्मेदार कौन होगा।