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ऐसी रहीं राहुल की सियासत

locationजयपुरPublished: Aug 10, 2019 10:57:09 am

Submitted by:

rahul Rahul Singh

लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो पीएम नरेन्द्र मोदी इस बार भी एकतरफा विजेता के रूप में सामने आए, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी को गत चुनाव के मुकाबले मात्र 8 सीटें ज्यादा जिता पाए,यहीं नहीं अपने परिवार की परम्परागत सीट अमेठी से वे खुद भी हार गए, हालांकि केरल की वायनाड सीट से वो लोकसभा में पहुंच गए।

rahul gandhi

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लोकसभा चुनाव loksabha chunav के नतीजे आए तो पीएम नरेन्द्र मोदी pm narendra modi इस बार भी एकतरफा विजेता के रूप में सामने आए, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी rahul gandhi
पार्टी को गत चुनाव के मुकाबले मात्र 8 सीटें ज्यादा जिता पाए,यहीं नहीं अपने परिवार की परम्परागत सीट अमेठी से वे खुद भी हार गए, हालांकि केरल की वायनाड सीट से वो लोकसभा में पहुंच गए। राहुल गांधी भारत से सबसे ताकतवर गांधी नेहरू परिवार के मुख्य उत्तराधिकारी हैं। उनके परनाना जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले और सबसे ज़्यादा समय तक रहे प्रधानमंत्री हैं। उनकी दादी इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और उनके पिता राजीव गांधी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। पांच साल पहले साल 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने आजादी के बाद अपनी सबसे बुरी हार देखी थी। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे राहुल गांधी के लिए दोहरा झटका लेकर आए। कांग्रेस सिर्फ़ 52 सीटें ही जीत सकीं। उनके मुकाबले में मोदी की भाजपा ने 300 से ज़्यादा सीटें जीतीं।
हालांकि राहुल गांधी संसद में बैठेंगे क्योंकि वो केरल की वायनाड सीट से जीते हैं लेकिन अमेठी Amethi i seat गांधी परिवार के लिए सम्मान की लड़ाई थी। इस सीट से उनकी मां सोनिया गांधी और पिता राजीव गांधी ने चुनाव लड़ा और जीता। वो खुद भी पंद्रह सालों से सांसद थे। राहुल गांधी ने अमेठी के प्रत्येक घर में एक विशेष पत्र भी भेजा था जिस पर लिखा था मेरा अमेठी परिवार,इसके बावजूद उसके उन्हें शर्मनाक नतीजे का सामना करना पड़ा। अभिनेत्री से राजनेता बनीं बीजेपी की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें करारी शिकस्त दी। अमेठी को उत्तर प्रदेश कादिल माना जाता है और उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है और दिल्ली की सत्ता का रास्ता यहीं से होकर जाता है। ये भारतीय राजनीति का ग्राउंड ज़ीरो भी हैं जहां किए गए प्रयोगों का असर पूरे देश में दिखाई भी देता है। आमतौर पर ये माना जाता रहा है कि जो यूपी जीतता है वही देश पर राज करता है.
भारत में हुए चौदह प्रधानमंत्रियों में से आठ यहीं से आए जिनमें राहुल गांधी के परनाना, दादी और पिता भी यहीं से जीते और प्रधानमंत्री बनें। 543 सांसदों की भारतीय संसद में से 80 सांसद यहीं से चुने जाते हैं। मूल रूप से गुजरात के नरेंद्र मोदी ने भी साल 2014 में यूपी की ही वाराणसी सीट का प्रतिनिधित्व किया और इस बार भी वो यहीं से सांसद चुने गए हैं।
किसी को ये उम्मीद तो नहीं थी कि कांग्रेस लोकसभा चुनावों में सीधी जीत हासिल कर लेगी लेकिन ये माना जा रहा था कि कांग्रेस पहले से बेहतर तो करेगी ही। यही वजह है कि नतीजों ने पार्टी के लोगों के अलावा आम लोगों को भी चौंका दिया है। राहुल गांधी भले ही संसद में रहे लेकिन अब ये सवाल पूछा जाने लगा है कि क्या ये कांग्रेस में गांधी युग का अंत है. या क्या पार्टी को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए गांधी परिवार की राजनीति को ख़त्म ही कर दिया जाए। कांग्रेस की हार पर उन्होंने ज़्यादा बात नहीं की. उन्होंने कहा कि कहां ग़लती हुई इस बात पर चर्चा कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक में की जाएगी।
चुनावी राजनीति में कांग्रेस के इस बेहद ख़राब प्रदर्शन से राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे और बहुत से विश्लेषक नेतृत्व बदलाव की बात भी करने लगे। कांग्रेस के कई विश्लेषक ये भी मान रहे थे मोदी के सामने व्यक्तित्व की स्पर्धा में राहुल गांधी हार रहे थे। ब्रांड मोदी उनके रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट था.
ये पहली बार नहीं है जब मोदी के हाथों राहुल गांधी को इतनी बुरी हार मिली हो। 2014 के चुनावों में पार्टी को सिर्फ़ 44 सीटें ही मिली थी. लेकिन उस वक़्त राहुल को पूरी तरह ज़िम्मेदार नहीं ठहराया गया था.इसके बाद हुए कई विधानसभा चुनावों उत्तरप्रदेश, पं बंगाल, बिहार,महाराष्ट, हरियाणा आदि कई राज्यों में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि पिछले साल तीन राज्यों में राजस्थान, छत्तीसगढ और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकारें बनी लेकिन चार महीने में ही पार्टी वापस पुरानी स्थिति में लौट गई।राहुल गांधी की यह कहकर आलोचना भी की गई कि वो ज़मीनी हक़ीक़त से दूर हैं और उन्हें कुछ भी नहीं पता है..अंतत: राहुल गांधी ने लोकसभा हार के लिए खुद की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और कार्यसमिति को नया अध्यक्ष चुनने के लिए कह दिया।

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