अपना अगला निशाना 2018 में होने वाले एशियाई गेम्स को बताते हुए उन्होंने कहा की वे रोज़ घंटो तक परिश्रम करके अपने टारगेट के और करीब पहुंचने की कोशिश कर रहे है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि बचपन में वह बहुत शैतान थे। खेल कूद में ही मगन रहते थे इसलिए उन्होंने ये गेम चुना। उन्हें इसकी प्रेरणा अपने बड़े भाई रोहित जांगिड़ से मिली जो खुद एक अंतर्राष्ट्रीय वुशु प्लेयर हैं।
उन्होंने बताया कि पहले वुशु गेम में बहुत कम लोग इंटरेस्ट लेते थे क्योंकि किसी को इस गेम के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी। लेकिन अब चीज़े बदल रही हैं और काफी युवा खिलाड़ी इस खेल के प्रति रूचि दिखा रहे हैं। आज जब भी वह कही किसी भी प्रतिस्पर्धा में जाते है तो अपने साथ कई राज्यों के खिलाड़ियों को पाते हैं।
राहुल बताते हैं कि राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं तक पहुंचने के लिए कई पड़ावों को पार करना पड़ता है। पहले जिला स्तर फिर उसके बाद राज्य स्तर पर प्रतिभा दिखाने के बाद राष्ट्रीय टीम में शामिल होने के लिए क्वालीफाई करना होता है। ये किसी चुनौती से कम नहीं होता।
वहीं राजस्थान सरकार के सहयोग के प्रति पूछे गए प्रश्न के जवाब में राहुल कहते हैं कि इस खेल को आगे बढ़ाने में सरकार का बहुत कम सहयोग है। प्राइज मनी देने में सरकारी कार्यशैली बहुत ढुलमुल है जिससे राशि भुगतान में बहुत देरी होती है। लेकिन हां कुछ सालों से फिर भी सरकार का रुख कुछ सकारात्मक दिखाई दे रहा है।
जैसा की हमारी सहयोगी अदिति यादव ने बताया