गहलोत ने कहा कि मांग को पुनर्जीवित करने के लिए लोगों के हाथों में पैसा देने के लिए अभी से ध्यान केंद्रित करना चाहिए, यह डॉक्टर बनर्जी का एक सुझाव है। हमें भारत में लाॅकडाउन में पोषाहार, आर्थिक द्वार के बारे में भी प्रयास करना चाहिए। अभिजीत बनर्जी का विश्लेषण भारत में जमीनी हकीकत के करीब है कि लोगों को पैसे देने के लिए हमें वास्तव में कुछ मशीनरी की जरूरत है। प्रवासियों की उस तक पहुंच नहीं हो सकती है, इसके बजाय राज्य सरकारों को धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि वे नई नीतियों को आजमा कर सही समय पर जरूरतमंदों तक पहुंचा सके। डाक्टर बनर्जी के अनुसार यह वही प्रोत्साहन पैकेज है जो अमेरिका, जापान, यूरोप कर रहे हैं, लेकिन हमने अभी तक एक बड़े पैकेज पर निर्णय नहीं लिया है।
गहलोत ने कहा कि बनर्जी ने बताया कि यूएसए जीडीपी के 10% के लिए चला गया है, हम अभी भी जीडीपी के 1% के बारे में बात कर रहे हैं। राहुल गांधी और अभिजीत बनर्जी की बातचीत में हमें वर्तमान संकट से निपटने के लिए कुछ उपयोगी जानकारी दी है। गहलोत ने कहा कि अस्थायी राशन कार्ड का सुझाव लाॅकडाउन के बारे में निर्णय लेने के लिए विकेंद्रीकृत प्रणाली, आर्थिक गतिविधि शुरू करना, गरीबों को पैसे हस्तांतरित करने के कार्यक्रम और बड़े पैकेज की आवश्यकता है। एक जिम्मेदार विपक्षी नेता के रूप में राहुल गांधी का प्रयास रचनात्मक सलाह, नई अंतर्दृष्टि और सुझाव देने का एक तरीका है, जो लोगों के लिए अच्छा हैं। यह संवाद हमारे लोकतंत्र को समृद्ध करते हैं।