नहीं की जा रही पूरी मांगें एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम रघुवईया ने मंगलवार को कहा कि कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच 13 लाख रेल कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर दिन-रात मेहनत कर भारतीय रेल को चला रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत सरकार रेल कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूरा नहीं कर रही।
पेंडिंग बोनस और कोरोना से कर्मियों की मौत का मुद्दा उनके अनुसार, देशभर में रेलकर्मचारियों का करीब 2000 करोड़ रुपये बोनस पेंडिंग पड़ा है, जिसका भुगतान सरकार की ओर से रेल कर्मचारियों को अभी तक नहीं किया गया है। यहां तक की कोरोना काल में रेलवे ऑपरेशन को सुचारू रखने के लिए रेल कर्मी काम कर रहे हैं, जिससे कोविड 19 संक्रमण के चलते अभी तक करीब 300 रेल कर्मचारी मर चुके हैं। इन रेलवेकर्मियों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
नवरत्न रेलवे का निजीकरण स्वीकार्य नहीं रघुवईया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कहा था कि भारतीय रेलवे नवरत्न है, लेकिन आज इसी नवरत्न के निजीकरण का काम चल रहा है। रेलवे परिचालन को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है। एनएफआईआर इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगा।उन्होंने कहा कि दशहरे से पहले रेलवे कर्मियों के बोनस का भुगतान किया जाना चाहिए। रघुवईया ने बताया कि बीते 11 अक्टूबर को हमारी रेल मंत्री से मीटिंग हुई, जिसमें रेलवे कर्मचारियों की सारी बातों को रखा गया।। लेकिन अगर हमारी मांगों को नहीं माना गया तो जल्द ही देशभर में रेलवे कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर होंगे।
हड़ताल की धमकी एनएफआईआर के प्रवक्ता एस एन मलिक (S N Malik) ने कहा कि बोनस रेलवे कर्मचारियों का हक हैं, जिसे वह उत्पादन के आधार पर लेते हैं। वर्ष 2019-20 तक का लंबित बोनस रेलकर्मियों को मिलना ही चाहिए। यह वर्ष 1977 से लाखों रेलवे कर्मचारियों को अनवरत मिलता रहा है। इसके अलावा पेंशनर्स के महंभाई भत्ते की किश्त रोकी गई हैं, वह भी पूर्व रेलकर्मियों के साथ अन्याय है। सरकार कोरोना संकट के नाम पर इसे नहीं रोक सकती। एस एन मलिक ने कहा कि अगर भारत सरकार की यही नीति रही तो एनएफआईआर तमाम रेल कर्मचारियों के साथ खड़ी है और मांगों के पूरा न होने पर देशभर में रेल का चक्का रोक दिया जाएगा।