जयपुर-दिल्ली रेलवे लाइन पर 602 मीटर लम्बाई में बन रहे आरओबी के करीब 335 फीट हिस्से में बिना पिलर वाला स्ट्रील स्ट्रक्चर इंस्टॉल करना है। स्टील स्ट्रक्चर इंस्टॉल करने के दौरान रेलवे को यहां से गुजरने वाली ट्रेनों की स्पीड कम करनी होती है। स्ट्रक्चर इंस्टॉल करते समय रेलवे के इंजीनियर और अधिकारियों को भी सुरक्षा के लिहाज से मौजूद रहना होता हे। जरूरत पड़ने पर ट्रेनों की आवाजाही को भी कुछ देर के लिए रोकना भी पड़ता है। इसलिए रेलवे की परमिशन जरूरी होती है। गौरतलब है कि एनएचएआइ ने नवम्बर 2018 को रेलवे को स्टील रेलवे ओवरब्रिज की डिजाइन और डिटेल्स भिजवाई थी। जयपुर—दिल्ली रेलवे लाइन पर आरओबी का निर्माण कार्य आगे बढ़ाने के लिए रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की अनुमति जरूरी थी। तब रेलवे ने 3 महीने बाद अनुमति दी थी। थोड़े समय तक स्टील ब्रिज निर्माण का काम चला, इसके बाद रेलवे की परमिशन अवधि पूरी हो गई और एक बार फिर से काम अटक गया।
गौरतलब है कि नेशनल हाइवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया ने करीबन 6 महीने पहले आरओबी का काम शुरू कर दिया था। इस आरओबी की खासियत ये है कि रेलवे ट्रेक वाले 102 मीटर हिस्से में एक भी पिलर नहीं बनेगा। जबकि करीबन 500 मीटर लम्बाई में आरओबी पिलर पर बनेगा।एनएचएआइ इंजीनियर्स का कहना है कि रिंग रोड प्रोजेक्ट के तहत हिंगोनिया गौशाला के पास बन रहा यह आरओबी इंजीनियरिंग का नमूना होगा। 335 फीट लम्बाई में बिना पिलर के ही आरओबी का निर्माण होगा। जहां पर पिलर नहीं बनेगा, वहां पर आरओबी के लिए धनुषाकार स्टील स्ट्रक्चर बनाया जाएगा। आरओबी की कुल लम्बाई 602 मीटर होगी। इसे बनाने में करीब 72 करोड़ रूपए लागत आएगी।
क्या कहते हैं जिम्मेदार –
रेल प्रशासन से आरओबी पर स्टील स्ट्रक्चर इंस्टॉल करने के लिए अनुमति मांगी है। पहले जो परमिशन मिली थी, उस अवधि में काम पूरा नहीं हुआ था। अब एक साइड में स्ट्रक्चर इंस्टॉल करना बाकी है। अब एनएचएआइ के दिल्ली मुख्यालय को इसकी सूचना दे दी गई है। रेलवे मंत्रालय से अनुमति के बारे में बात की जाएगी।
अजय विश्नोई, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआइ