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जयपुर

बारिश हो…धूप हो या फिर को सर्दी…. हमेशा तैयार रहने वाले गिग वर्कर्स खुद ही परेशान

राजधानी जयपुर की अर्थव्यवस्था की धुरी बने गिग वर्कर्स कई परेशानी से जूझ रहे हैं। इनके पास सुविधाओं का टोटा है। कमीशन में भी असमानता है। स्वास्थ्य गड़बड़ हुआ तो काम गया और इलाज की भी फिक्र रहती है।

जयपुरAug 14, 2024 / 09:00 am

Ashwani Kumar

जयपुर। गिग वर्कर्स शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ का काम कर रहे हैं। रोज 22 से 25 करोड़ रुपए से अधिक के लेनदेन की कड़ी गिग वर्कर्स ही हैं। महीने भर में 750 करोड़ रुपए का लेनदेन इन्हीं के माध्यम से हो रहा है। अभी राजधानी में करीब ढाई लाख गिग वर्कर्स हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि आने वाले तीन से चार वर्ष में इनकी संख्या दोगुनी हो जाएगी।
स्थिति यह है कि जब तेज बारिश और भीषण गर्मी में जब आपके कदम बाजार से सामान लाने के लिए ठहर जाते हैं तो ये लोग मुस्कुराते हुए आप तक सामान लेकर आ जाते हैं। इसके बाद भी इनको न कोई सुविधाएं मिल रहीं हैं और न ही सुरक्षा है। कमीशन भी कम होता चला रहा है। कम्पनियों ने इन पर राइडर इतने लगा दिए कि इनको पूरा करने में सुबह से शाम हो जाती है।
ये हैं गिग वर्कर्स
-डोर स्टेप डिलेवरी में शामिल तमाम शॉपिंग, फूड एप शामिल डिलेवरी बॉय
-किसी एक के जरिए टैक्सी सर्विस देने वाले ड्राइवर
-ऑनलाइन एप को थर्ड पार्टी सर्विस देने वाले से लेकर ब्लड कलेक्शन करने वाले लोग

फ्रीलांसर्स के तौर पर भी
फ्रीलांसर्स: जयपुर में भी कई फ्रीलांसर्स हैं जो विभिन्न पेशेवर सेवाओं जैसे कि ग्राफिक डिजाइन, वेब डेवलपमेंट, कंटेंट राइटिंग आदि में लगे हुए हैं।

ये प्रमुख समस्याएं
कमीशन की दिक्कत: कैब ड्राइवर से लेकर घर तक खाना व अन्य सामान पहुंचाने वाले लोगों को कमीशन की दिक्कत रहती है। शुरुआत में कम्पनियां अच्छा कमीशन देती हैं और धीरे-धीरे इसको कम कर दिया जाता है।
ये हो तो मिले फायदा: राज्य सरकार गिग वर्कर्स को लिए न्यूनतम वेतन की गारंटी देने का नियम लागू करे।

सामाजिक सुरक्षा का अभाव: 12 से 15 घंटे और कई बार देर रात तक काम करने वाले गिग वर्कर्स के पास स्वास्थ्य बीमा व अन्य अन्य सामाजिक सुरक्षा के लाभ कम ही होते हैं। ऐसे में बीमारी और दुर्घटना के स्थिति में इन लोगों को काफी मुश्किल होती है।
समाधान: इनके लिए सरकार या फिर जिस कम्पनी के लिए काम कर रहे हैं, वो कम्पनी बीमा कराए।

भुगतान की समस्या: ज्यादातर गिग वर्कर्स समय से भुगतान न होने की बात कहते हैं। इससे इनके सामने कई बार वित्तीय संकट खड़ा हो जाता है।
समाधान: कम्पनियों को अनुबंध को स्पष्ट करना चाहिए और इसमें सरकार को आगे आना चाहिए।
टॉपिक एक्सपर्ट
अर्थव्यवस्था को कर रहे मजबूत, इनकी भी हो सुनवाई
देश में राजस्थान पहला राज्य है, जो गिग वर्कर्स के लिए विधेयक लेकर आया। दूसरे राज्यों ने इसी के आधार पर काम शुरू किया, लेकिन राजस्थान में अब मामला ठंडे बस्ते में है। जबकि राज्य भर में चार लाख गिग वर्कर्स हैं। ये लोग अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं, लेकिन इनकी सुनवाई नहीं हो रही।
नीति आयोग-2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की गिग वर्कर्स की संख्या 2020-2021 में 77 लाख बताई गई थी। वर्ष 2029-2030 में यह बढकऱ 2.35 करोड़ होने की उम्मीद है।
एक रिपार्ट में गिग वर्कर्स की वैल्यू ऑफ मार्केट वर्ष 2023 में 37 लाख करोड़ की थी।
आशीष सिंह, अध्यक्ष, राजस्थान गिग एंड एप बेस्ड वर्कर्स यूनियन

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