वे शनिवार को यूरोप में कम्युनिटी ऑफ सान पेत्रिनियानो में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। नशे के आदी रहने के बाद सुधार गृह में आए और अपने आप को बदल चुके करीब 1200 युवा इस कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने इन युवाओं से आहृवान किया कि उनको नशे की आदत छोड़ने के बाद दूसरा जीवन मिल रहा है, इसलिए वे एक अच्छे नागरिक बनकर बाहर जाएं और अपना जीवन समाज को समर्पित करें। बाहर जाकर केवल स्वयं के लिए ही नहीं जीयें। उन्होंने कहा कि इन युवाओं के बीच आकर खराब से खराब जीवन देखा, तो श्रेष्ठ जीवन को भी देखा। उनका कहना था कि इंसान जब अपने दिल से नहीं जीता तो अपनी इच्छाओं पर भी काबू नहीं रख सकता। सभी के साथ मां के प्यार जैसा बर्ताव करें, तो उससे व्यक्ति को अंदर से ताकत मिलती है। उनका यह संबोधन सुनकर वहां मौजूदा संस्था के पदाधिकारी सहित अन्य सभी व्यक्ति भावुक हो गए।
इसी दौरान नशे की प्रवृति से पीछा छुड़ाने के लिए परिसर में रह रही एक युवती से बात करने का मौका मिला, तो उसने कहा कि उसे उम्मीद थी उसकी सभी समस्याओं का निराकरण करने वाला कोई तो आएगा और ऐसा हुआ भी। यहां आकर उसकी आंखों में आशा की एक किरण से जगी है।
कोठारी ने सुधार गृह के परिसर का अवलोकन भी किया। इस मौके पर उनके साथ संस्था के अध्यक्ष सहित प्रबंधन के अन्य व्यक्ति, मेजो शियात्सु के इंटरनेशनल अध्यक्ष तथा भारत में ओकिडो प्रतिनिधि डॉ. प्रदीप भाटी भी थे। इस परिसर में ध्यान, योग, प्रवचन एवं व्याख्यान के माध्यम से युवाओं को बदलने का प्रयास किया जाता है और यहां ब्रिटेन सहित विभिन्न देशों के नशे की प्रवृति का सामना कर रहे युवाओं का साक्षात्कार के आधार पर चयन किया जाता है। चयनित युवाओं को यहां रहने का मौका दिया जाता है।