बीकानेर के इस क्षेत्र के पोली हाउस में यहां के किसान खीरे की फसल पैदा कर नई पहचान कायम कर रहे हैं। जिस कारण अब रेगिस्तान में भी हरियाली शान से लहरा रही है। तो वहीं इन पोली हाउस में किसानों को खेती करने के लिए लगभग 35 से 40 लाख रुपए तक का खर्च आता है, और उनके इस योजना में राजस्थान सरकार लगभग 25 लाख रुपए का अनुदान दे कर इनके लिए खेती कर फसल उगाने में सहायता कर रही है। यहां स्थित बज्जू क्षेत्र के फुलासर गांव में पोली हाउस तकनीक के जरिए किसान शुरुआती दौर में खीरे की फसल उगा रहे हैं।
यहां पोली हाउस में उगाई गई खीरे की फसल की बड़ी मात्रा में खपत राजस्थान के अलावा पंजाब और हरियाणा में खूब हो रही है। जबकि मांग के अनुसार किसानों को इसका प्रतिकिलो भाव पर आमदनी भी अच्छी खासी हो जाती है। यहां लगभग 4 हजार मीटर में खीरे की फसल की जाती है। जिसमें पैदवार लगभग 500 क्विंटल तक की फसल की हो जाती है, जो कि 120 से 150 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है। इतना ही खीरे की एक बार में की गई फसल के जरिए किसनों की लाखों रुपए तक की आय हो जाती है।
जबकि आने वाले दिनों में प्रेदश में पोली हाउस के माध्यम से खीरे की खेती को नए अवसर के तौर पर देखा जा रहा है। तो वहीं इस काम में राज्य सरकार भी समय-समय पर किसानों को खेती से जुड़ी तकनीक और फसलों से संबंधित जानकारियां भी उपलब्ध करा रही है, जिससे किसानों की उपज में फायदा हो सके। इस तरह यहां रेगिस्तान में बिना पानी की फसलों की खेती को लेकर भी किसानों को जागरुक किया जा रहा है, जिससे उनके आय को बढ़ावा मिल सके। जबकि रेगिस्तान में पोली हाउस जैसी तकीनक के जरिए खीरे की फसल कर किसान नई जानकारी के जरिए खेती करने को लेकर उत्साहित हैं।