नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने एक दिन पहले आधी रात तक मैराथन बैठक लेकर अभियान को लेकर कई फैसले लिए। अभियान में शिविर का नया चरण 15 जुलाई से शुरू हो रहा है। इसमें सरकारी जमीन पर बसी कॉलोनियों के नियमन की भी राह खोल दी गई है। इसके अलावा 20 फीट सड़क पर बसी कॉलोनियों में भी पट्टे जारी किए जाएंगे। अभी तक न्यूनतम सड़क चौड़ाई 30 फीट होना जरूरी है। हालांकि इन कॉलोनियों में आवागमन में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। सड़क के किनारे के भूखंडों का नियमन नहीं होगा। नियमन के लिए कॉलोनी का ले आउट प्लान बनाने की बंदिश भी हटा दी है। वहीं कृषि भूमि पर बसी सघन आबादी के पट्टे देने की प्रक्रिया भी सरल कर दी गई है। यानी 60 प्रतिशत भूखण्डों पर निर्माण हो चुका हो। वहां पट्टे दिए जाएंगे।
अभियान के दौरान 31 दिसम्बर, 2013 तक की बसावट वाली कॉलोनियों का नियमन किया जाएगा। कॉलोनी में 50 प्रतिशत या उससे अधिक निर्माण होना जरूरी होगा। 300 वर्गमीटर तक के भूखंड का नियमन नगरीय निकाय अपने स्तर पर कर सकेंगे। जबकि, इससे बड़े भूखंडों के लिए राज्य सरकार की स्वीकृति जरूरी होगी।
ये भी किया फैसला
सिवायचक भूमि, निकायों की भूमि, निकाय और आवासन मंडल की अवाप्तशुदा, सीलिंग कानून में अधिग्रहित भूमि (निकाय में निहित हो गई हो) और निकायों में नजूल भूमि पर बसी कॉलोनियां नियमित होगी। यहां सुविधा क्षेत्र यथा संभव 40 प्रतिशत और आंतरिक सड़कों की न्यूनतम चौड़ाई 30 फीट रखी जाएगी।