भीषण गर्मी से सीजनल सब्जियां भी महंगी होने से आम आदमी की खरीद से बाहर हो गई है। वहीं खाद्य तेल और गैस सिलेंडर पहले ही मंहेग हो गए हैं। इन सभी के महंगे होने से रसोई का बजट पूरी तरह से चरमरा गया है,मजबूरन जरूरी चीजों में कटौती करनी पड रही है। अब नींबू की तरह टमाटर भी कुछ ही दुकानों पर नजर आ रहा है।
घंटाघर सब्जी मंडी में सब्जी विक्रेता दिनेश सैनी ने बताया कि खेतों में लगी टमाटर की फसल गर्मी से खराब हो गई है, इसलिए दाम बढ़ गए हैं। यदि इसी तरह से गर्मी रही तो आने वाले दिनों में टमाटर की कीमतें और बढ़ सकती हैं। टमाटर के साथ पुदीना 80 और नींबू डेढ सौ रुपए किलो बिक रहा है।
महंगाई इतनी हो गई है कि अब कुछ खाने बनाने का मन ही नहीं करता। गैस सिलेंडर एक हजार से ज्यादा का है, तेल दौ सौ रुपए तक हो गया है। सब्जियां सस्ती थी वह भी अब महंगी हो गई है। अब तो यही सोच रहे हैं कि गैस सिलेंडर कम खर्च हो, तेल की खपत कम हो इसलिए पापड, अचार कुछ नही डाला बाजार से खरीद रहे हैं।
साब्जियों के खुदरा दाम
आलू 25 प्याज 20 भिंडी 30 बैँगन 20 टिंड 50 शिमला मिच 30 ग्वार फली 30 कैरी 40 सब्जियां भाव प्रति किग्रा तोरई 30 पुदीना 80 अरबी 40 करेला 30 ककडी 40 खीरा 40 अदरक 40 धनिया 60 रुपए प्रतिकिलो पहुंच गया है।
संगीता तिवाडी, लाल डिग्गी चौराहा, अलवर। गैस सिलेंडर, सरसों का तेल पहले ही महंगा हो गया है , इसलिए रोज रोज बनने वाले पकवान बनाना बंद कर दिया है। जो पेट भरने के लिए जरूरी है वहीं रसोई में पक रहा है। अब टमाटर भी महंगा हो गया है, बिना टमाटर के कोई सब्जी अच्छी नहीं लगती। लेकिन टमाटर महंगे होेने से खरीदे ही नहीं है। सब्जी का स्वाद ही खराब हो गया है।
सरोज मल्होत्रा, रामनगर कॉलोनी महंगाई हर दिन बढ़ती जा रही है लेकिन प्राइवेट कर्मचारियों का वेतन उतना ही है। आज पेट्रोल, गैस, तेल, गेंहू सब के भाव तीन गुना हो गए हैं। साठ रुपए किलो टमाटर खाने की बजाय अमचूर से काम चला रहे हैं। बाहर खाने की बजाय घर पर ही कुछ बना लेते हैं।
अंजू जैन, अलवर शहर पहली रसोई के बजट से कुछ बच जाता था क्योंकि तेल, राशन सब सस्ता था । लेकिन अब हर चींज महंगी हो गई है । रसोई गैस महंगा होने से तो परेशानी बहुत बढ़ गई है। गर्मी में सस्ती सब्जी से कुछ राहत मिल रही थी वह भी महंगी हो गई।
अलका खंडेलवाल, अलवर शहर