क्रेशर और खानें राजस्थान और हरियाणा दोनों ही राज्यों में बंद होगी। खान विभाग ( Mines Department ) के अधिकारियों के मुताबिक सीईसी ने रिपोर्ट में अरावली की पहाडिय़ों के 10 किलोमीटर के दायर में चल रहे क्रेशर और एक किलोमीटर के दायरे में चल रही खानों को बंद करने के लिए कहा गया है। अधिकारियों का कहना है कि एक किलोमीटर के दायरे में करीब 350 खानें आ रही हैं। इनमें 250 खानें राजस्थान और 100 खानें हरियाणा में चल रही हैं। इसी प्रकार 10 किलोमीटर के दायरे में चल रहे 500 क्रेशरों में करीब 200 क्रेशर राजस्थान और 300 के आसपास हरियाणा की सीमा में चल रहे हैं।
अवैध खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का शुरूआत से ही सख्त रूख है। ऐसे में यदि न्यायालय ने सख्ती दिखाई तो खान और क्रेशरों पर ताले लगने से बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होंगे और इन क्षेत्रों में रोड़ी व पत्थर महंगे हो जाएंगे। हालांकि विभाग के अधिकारी इसको लेकर कोई तोड़ निकालने की जुगत में लगे हैं। लेकिन इनका मानना है कि न्यायालय से कुछ मोहलत जरूर मिल सकती है। लेकिन आने वाले समय में इनको बंद ही करना पड़ेगा।
दोनों राज्यों की पॉलिसी में भारी अंतर
हरियाणा व राजस्थान की खनन पॉलिसी में भारी अंतर बताया जा रहा है। ऐसे में राजस्थान की सीमा से रोजाना बड़ी संख्या में अवैध खनन कर पत्थर हरियाणा के क्रेशरों पर पहुंचाए जा रहे हैं। यहां ठेकेदार को रॉयल्टी वसूली के ठेके दिए जाते हैं। जबकि हरियाणा में पेड रवन्ना सिस्टम हैं। ऐेसे में राजस्थान की सीमा पार करते ही हरियाणा के ठेकेदार उसे अपने कब्जे में ले लेते हैं। इस तरह बड़ी मात्रा में राजस्थान अवैध खनन होकर एनसीआर में जा रहे हैं। सीईसी का तर्क है कि इस क्षेत्र में अवैध खनन के साथ ही वन क्षेत्र भी कम हो रहा है। इसके लिए इसे रोका जाना जरूरी है।