दरअसल, भाजपा नेतृत्व को उम्मीद के साथ ही ये विश्वास भी है कि गहलोत मंत्रिमंडल में बदलाव के साथ ही कांग्रेस पार्टी में असंतुष्ट नेताओं का आक्रोश फूट पडेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस नेताओं में असंतोष का नुक्सान जितना कांग्रेस पार्टी को होगा, भाजपा उतना ही उसका फ़ायदा उठाने की कोशिशों में रहेगी।
पायलट व बसपा से कांग्रेस में आये विधायकों पर नज़र
गहलोत मंत्रिमंडल में संभावित विस्तार-फेरबदल के बीच भाजपा की विशेष नज़र कांग्रेस पार्टी के सचिन पायलट खेमे के विधायकों पर टिकी है। साथ ही बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों के आगामी रुख पर भी भाजपा का फोकस है। भाजपा नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार-फेरबदल के बाद सबसे ज़्यादा जो नाराज़गी है वो पायलट खेमे और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं में पनप सकती है।
स्थितियों के अनुसार तैयार होगा ‘प्लान’
सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल विस्तार-फेरबदल के बाद उपजी स्थितियों के मद्देनज़र पार्टी के शीर्ष नेता मिलकर आगामी रणनीति बनाएंगे। असंतुष्ट नेताओं को अपने पाले में करते हुए मौके का फ़ायदा उठाने की कोशिश की जायेगी। इसके लिए रणनीति के तौर पर प्लान ‘ए’ और प्लान ‘बी’ बनाकर कदम आगे बढ़ाए जा सकते हैं।
भाजपा नेता जता चुके हैं आशंका
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित कई वरिष्ठ नेता पहले ही आशंका जता चुके हैं कि गहलोत मंत्रिमंडल में बदलाव होते है नेताओं के बीच अंतर्कलह और नाराज़गी का ‘बम’ फूट पड़ेगा।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने पूर्व में दिए एक बयान में कहा था कि कांग्रेस में अंतर्कलह चरम पर है और जैसे ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा उसके बाद यह कलह और बढ़ेगी, जिससे मध्यावधि चुनाव की संभावनाएं प्रबल होंगी।