दरअसल भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने प्रदेश में नन्दीशालाओं की स्थापना के लिए आवंटित बजट के सिलसिले में एक सवाल पूछा था। भाजपा विधायक ने जानना चाहा कि विगत दो वर्ष के कार्यकाल में गहलोत सरकार ने प्रदेश में कितनी नंदीशालाएं खोली हैं, इसमें वर्त्तमान में कितने पशु हैं और इस मद में कितना बजट रखा गया है?
इसके जवाब में मंत्री भाया ने कहा कि नंदिशालाओं की घोषणा पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने की थी। लेकिन इस योजना में कई तरह की कमियां और खामियां थीं, जिन्हें दुरुस्त करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पंचायत स्तर पर मॉडल तैयार किया है, जिसे आगामी एक माह में शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है। इन्हीं वजहों से नंदीशालाएं स्थापित करने में समय लग रहा है।
इधर मंत्री के जवाब से विपक्ष सतुष्ट नज़र नहीं आया। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने भी हस्तक्षेप करते हुए मंत्री को घेरा।
वहीं भाया की तरह मंत्री ममता भूपेश भी एक सवाल के जवाब में ‘बैकफुट’ पर दिखाई दीं। इंदिरा गांधी महिला शोध संस्थान की स्थापना को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष व विधायक राजेन्द्र राठौड़ के सवाल पर मंत्री उलझ गईं। राठौड़ के इन संस्थानों पर बजट प्रावधान पर पूछे सवाल पर जानकारी देते हुए मंत्री ने बताया कि अब तक 20 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। वहीं पिछले साल की 22 दिसंबर को हुए एक एमओयू के अनुसार एचसीएम रीपा संस्थान को भी बजटीय प्रावधान में शामिल करने का मंत्री ने ज़िक्र किया।
लेकिन मंत्री ममता भूपेश के जवाब से प्रश्नकर्ता राठौड़ संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि मंत्री ने उनके मूल प्रश्न का सही से उत्तर नहीं दिया है।