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विधानसभा उपचुनाव: राजसमंद की जनता को पड़ोसी नाथद्वारा से पिछड़ने की टीस

locationजयपुरPublished: Apr 07, 2021 02:53:29 pm

Submitted by:

santosh

राजसमंद का हृदयस्थल महाराजा राजसिंह चौराहा (जल चक्की चौराहा)। दोपहर के 2 बजे। यहां कुछ लोग एक दुकान पर चुनावी चर्चा में व्यस्त हैं। अब तक हुए और आगे होने वाले विकास कार्यों की चर्चा के बीच इनके मन में बड़ी टीस अपने ही जिले के पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र नाथद्वारा से पिछड़नेकी है।

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राजसमंद से सुनील सिंह सिसोदिया-
जयपुर। राजसमंद का हृदयस्थल महाराजा राजसिंह चौराहा (जल चक्की चौराहा)। दोपहर के 2 बजे। यहां कुछ लोग एक दुकान पर चुनावी चर्चा में व्यस्त हैं। अब तक हुए और आगे होने वाले विकास कार्यों की चर्चा के बीच इनके मन में बड़ी टीस अपने ही जिले के पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र नाथद्वारा से पिछड़नेकी है। धार्मिक नगरी के रूप में नाथद्वारा का नाम देश-दुनिया में ख्यात है लेकिन मार्बल नगरी राजसमंद पिछड़ी हुई है। यहां न ज्यादा अच्छे होटल हैं, न पर्यटन स्थलों का विकास पूरी तरह हो पाया है।

एक बुजुर्ग कहते हैं, जिला मुख्यालय पर जो सुविधाएं चाहिए, उन्हें भी नाथद्वारा में शिफ्ट किया जा रहा है। दूसरे बुजुर्ग ने हाथों-हाथ उदाहरण भी दिया। बोले, कोरोना जांच की जो सरकारी सुविधा जिला मुख्यालय पर होनी चाहिए, वह नाथद्वारा में शिफ्ट कर दी गई। इस कड़ी में जिला लाइब्रेरी और डाइट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) सहित कई काम गिना दिए। इस तरह की चर्चा इस चौराहे पर ही नहीं, अन्य स्थानों पर भी है। लोगों की इस पीड़ा से भाजपा-कांग्रेस के स्थानीय नेता भी सहमत हैं।

बड़े नेताओं के कार्यक्रम तय करने में व्यस्त दल:
राजसमंद की सड़कों पर न तो ज्यादा भीड़भाड़ है, न फिलहाल प्रचार का ज्यादा शोर। दोनों दलों के स्थानीय नेता बड़े नेताओं के दौरों के कार्यक्रम तय करने में व्यस्त हैं। दोनों दल एक-दूसरे के कार्यकर्ताओं को तोडऩे की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं। कुछ दिन पहले कांग्रेस ने भाजपा के कुछ लोगों को कांग्रेस में शामिल किया तो मंगलवार को भाजपा ने कांग्रेस के कुछ लोगों को पार्टी कार्यालय में माला पहनाई।

होर्डिंग-बैनर ज्यादा नहीं, घर-घर पहुंचने की मशक्कत:
भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों के यहां होर्डिंग, पोस्टर और बैनर ज्यादा नजर नहीं आ रहे। शहर के कुछ प्रमुख स्थानों पर जरूर लगाए हुए हैं। कोरोना के चलते ज्यादा बड़ी सभाओं की तैयारी भी फिलहाल नहीं दिख रही। दोनों ही दलों का फोकस फिलहाल घर-घर सम्पर्क करने और पार्टी विशेष के वोटरों को तोडऩे के लिए स्टार प्रचारकों को बुलाने पर है। राजसमंद क्षेत्र को भाजपा ने पांच मण्डलों में बांटा हुआ है। हर मण्डल में एक विधायक को प्रभारी बनाकर काम कर रही है। मार्बल नगरी को देखते हुए कांग्रेस ने खान मंत्री प्रमोद जैन भाया को यहां लगा रखा है। कुछ विधायकों को भी अलग-अलग क्षेत्रों में लगाया है। जातिगत वोटों के आधार पर समीकरण साधने के लिए एक-दो दिन में मंत्रियों के दौरे संबंधित क्षेत्रों में कराए जाएंगे।
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नेताओं की नजर डीएमएफटी के 150 करोड़ पर:
मार्बल और ग्रेनाइट उत्पादन के लिए मशहूर इस जिले में मार्बल-ग्रेनाइट व मिनरल की लगभग 1500 खानें हैं। इन खानों से सालाना लगभग 150 करोड़ रुपए डीएमएफटी (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउण्डेशन ट्रस्ट) फण्ड के रूप में एकत्र होते हैं। इस राशि पर भाजपा से ज्यादा कांग्रेस का फोकस है। कांग्रेस नेता दावे भी कर रहे हैं कि हर साल 150 करोड़ रुपए डीएमएफटी से आते हैं, उससे विकास कराएंगे। वैसे इस फण्ड से अब तक कई काम हो चुके हैं।

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एक होटल-धर्मशाला से, दूसरी कार्यालय से कर रही काम

पार्टी कार्यालय से चुनावी तैयारियों के मामले में यहां भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ रखा है। राज्य की पिछली भाजपा सरकार में जिला मुख्यालयों पर पार्टी कार्यालयों को जमीन दी गई थी। इसके तहत यहां भाजपा का शानदार दफ्तर बन चुका है। चुनावी गतिविधियां मुख्य रूप से दफ्तर से ही संचालित की जा रही हैं। जबकि कांग्रेस के पास जिला मुख्यालय पर बड़ा दफ्तर नहीं होने से होटल और धर्मशालाओं से काम करना पड़ रहा है।

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