जनता का मानना है कि नेता कोई भी हो, चुनाव में उसका काम बोलता है। राज्य में युवा सोच इसके साथ ही आगे बड़ रही है। पिछले कुछ चुनावों से राज्य की कुछ विधानसभा सीटों पर अपने काम के बूते प्रत्याशी जीतते रहे हैं। इनमें नवलगढ़, बस्सी, लूणकरणसर सीट मुख्य है।
युवा नेता राजकुमार शर्मा ने नवलगढ़ से पहला चुनाव 2008 में बसपा प्रत्याशी के तौर पर जीता और कांग्रेस सरकार में चिकित्सा राज्य मंत्री बने। राज्य मंत्री रहने के बावजूद उनकी कार्यशैली आक्रामक रही। 2013 में कांग्रेस ने टिकट काटा तो वह निर्दलीय खड़े हुए और जीते। हालांकि, अब वह कांïग्रेस के कार्यक्रमों में वापस दिखने लगे हैं।
उधर, बस्सी सीट से लगातार 2 बार चुनाव जीत चुकी अंजूदेवी धानका फिर चुनाव मैदान में हैं। बस्सी में जातिगत समीकरण तोड़कर उन्होंने चुनाव में अपनी धाक जमाई। बस्सी की विधायक अंजूदेवी धानका का कहना है कि लोगों की सोच बदल रही है, वे काम के आधार पर वोट देते हैं। नेताओं को समझ लेना चाहिए कि केवल किसी पार्टी का सिंबल और झंडा लाने से काम नहीं चलेगा। बुजुर्ग नेता माणकचंद सुराणा 2013 में पांचवीं बार विधायक बने थे।
वर्ष 2013 में उन्होंने लूणकरणसर से निर्दलीय चुनाव लड़ा और अपने काम के दम पर जीते। इस कड़ी में खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल का नाम भी आता है। वह 2008 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। वर्ष 2013 में निर्दलीय लडऩा पड़ा लेकिन जीते। पिछले कुछ महीनों में अपनी ताकत बढ़ाते हुए वह अब राज्य की राजनीति पर असर डालने के लिए प्रयासरत हैं। इससे पहले भी काम के दम पर चुनाव जीतने का सिलसिला चलता रहा है।
विधानसभा में अच्छा प्रदर्शन
इन सभी विधायकों का विधानसभा में भी प्रदर्शन अच्छा रहा है। माणिकचंद सुराणा ने तथ्यपरक मुद्दे उठाए और कई बार सरकार को मुश्किल में डाला। हनुमान बेनीवाल, राजकुमार शर्मा और अंजूदेवी धानका ने अवैध खनन, बजरी समस्या, आनंदपाल प्रकरण समेत कई अन्य मामले उठाते हुए सरकार को घेरा।
इन सभी विधायकों का विधानसभा में भी प्रदर्शन अच्छा रहा है। माणिकचंद सुराणा ने तथ्यपरक मुद्दे उठाए और कई बार सरकार को मुश्किल में डाला। हनुमान बेनीवाल, राजकुमार शर्मा और अंजूदेवी धानका ने अवैध खनन, बजरी समस्या, आनंदपाल प्रकरण समेत कई अन्य मामले उठाते हुए सरकार को घेरा।
1998-2003
में कुछ ने पार्टियां छोड़ी, निर्दलीय चुनाव लड़ा और विधायक बने
में कुछ ने पार्टियां छोड़ी, निर्दलीय चुनाव लड़ा और विधायक बने