बजट जल्दी पेश होना और प्रिटिंग प्रेस में छपाई में समय ज्यादा लगना बताया कारण… सबसे पहले मुख्य सचिव एन.सी. गोयल ने प्रतिवेदन पेश करने में हुई देरी को लेकर अपना पक्ष रखने की विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल से अनुमति मांगी। गोयल ने सफाई दी और कहा कि विधानसभा बजट हर बार मार्च में पेश होता है। सभी विभागों से बजट पेश होने से सात दिन पहले वार्षिक प्रतिवेदन पेश करने के लिए कहा गया था। 15 फरवरी तक पहले प्रतिवेदन मांगे गए थे। लेकिन इस बार बजट फरवरी में ही पेश होने और फिर गवर्नमेंट प्रेस में छपाई कार्य देरी से होने की वजह से प्रतिवेदन समय पर पेश नहीं किए जा सके। वैसे मंत्रिमण्डल सचिवालय ने संशोधित सर्कूलर जारी कर दिया था। लेकिन इन्हीं व्यावहारिक कारणों से दशन सत्र में विलंब हुआ है।
विधायिका की भूमिका को लेकर कोई हमें संदेह नहीं है। गोयल ने सफाई दी कि 72 वार्षिक प्रतिवेदन में से करीब 20 में 1 दिन, 22 में 2 से 3 दिन और 4 में तो 4 ही दिन की देरी हुई है। लेकिन अब पुनरावृति नहीं होगी। संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि उनकी व मंत्रिमण्डल सचिवालय की ओर से प्रतिवेदनों को समय पर रखने को लेकर कई सर्कूलर जारी कर दिए गए थे।
जबाव दो साल बाद मिलेंगे, तो कार्रवाई कैसे होगी…
उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि पुराने मामलों में दो साल बाद अधिकारी जबाव देंगे, तो काम कैसे होगा। जो नोडल अधिकारी इस काम के लिए नियुक्त हैं, वे ध्यान नहीं दे रहे। विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा कि विधानसभा की तमाम कमेटियां बनी हुई हैं, लेकिन इनके कामकाज को लेकर नियुक्त विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। यदि इन कमेटियों के कार्यों को समय पर पूरा कर दिया जाए, तो प्रदेश की जनता को बड़ा लाभ मिलने के साथ विकास कार्यों को भी तेजी मिले।
दर्जनभर विभागों के नहीं पहुंचे वार्षिक प्रतिवेदन
वार्षिक प्रतिवेदन देरी से सदन में रखने को लेकर बवाल मचा हुआ है। लेकिन फिर भी करीब दर्जनभर विभागों के वार्षिक प्रतिवेदन अभी तक विधानसभा नहीं पहुंचे हैं। हालांकि मुख्य सचिव गोयल ने कहा कि जल्द प्रतिवेदन पेश कर दिए जाएंगे। लेकिन इन विभागों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।