कटारिया ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए बताया कि बिजली की बढ़ी हुई दरों का आम आदमी पर किस तरह से प्रभाव पड़ेगा। विभाग के अधिकारियों ने एक लाख करोड़ का घाटा दे दिया। अधिकारी सुधार के नाम पर कुछ नहीं कर रहे हैं, बस पैसे को लूट रहे हैं। कई अधिकारी ऐसे हैं जो 70 साल की उम्र के बाद भी विभाग में बैठे हैं और नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कटारिया ने कहा कि बिजली की चोरी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। किसानों पर बिजली चोरी का आरोप लगाया जाता है, जो गलत है। बड़े-बड़े उद्योगपति बिजली की चोरी कर रहे हैं, उनका कुछ नहीं बिगड़ता है। उन्होंने जयपुर के पृथ्वीराज नगर का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार ने यहां बिजली कनेक्शन नहीं दिए लेकिन सभी मकानों में कनेक्शन है। सरकार खुद बिजली कनेक्शन दे देती है तो बिजली की चोरी अपनेआप ही रूक जाएगी।
ये पाप मत करो -:
कटारिया ने संविदाकर्मियों के नियमन का मामला उठाते हुए कहा कि ये पाप मत करो। अगर सरकार संविदाकर्मियों को नौकरी दे सकती है तो दे, नहीं तो मना कर दे। संविदाकर्मी केवल छह हजार रुपए में वर्षों से यह सोचकर नौकरी कर रहे हैं कि कभी तो उनकी सरकारी नौकरी लगेगी। वर्तमान में पंचायत राज विभाग में 15 हजार, जलदाय विभाग में 10 हजार तथा अन्य विभागों में भी हजारों लोग संविदा पर काम कर रहे हैं।
बढ़ गया अपराध का ग्राफ -:
कटारिया ने कहा कि प्रदेश में हर तरह के अपराध का ग्राफ बढ़ा है। थानों में थानेदार एफआईआर तक दर्ज नहीं करते। अलवर के थानागाजी में हुई घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय चुनाव के चलते पीडि़त की एफआईआर दर्ज नहीं हुई। पपला गुर्जर का जिक्र करते हुए कहा कि पपला गुर्जर थाने से कैसे भाग गया। ऐसे पुलिसवालों को नौकरी का हक नहीं है। उन्होंने अपराधों को रोकने के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला को मजबूत करने पर बल दिया।
दो मेयर बनाने को बताया गलत -:
कटारिया ने कि सरकार नगर निगमों में दो-दो मेयर बनाने जा रही है जो अच्छी बात नहीं है। निगमों में पैसे का उपयोग ठीक तरह से नहीं हो रहा है, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दवाओं में मिलावट बढ़ रही है, सरकार उसे नहीं रोक पाई। इसके अलावा भिक्षावृति को भी सरकार ने रोकने के लिए कहा था, यह भी नहीं हो पाया।
आपदा के तहत नहीं मिला किसानों को पैसा -:
कटारिया ने आपदा सुरक्षा के प्रगति प्रतिवेदन को दिखाते हुए कहा कि लाखों किसान धरती पर नहीं हैं, जबकि अकाल पड़ता है तो ऐसे किसानों के नाम पर पैसा आ जाता है। इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हमने ऑन लाइन व्यवस्था की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के पास 2 हजार 702 करोड़ रुपए होते हुए भी आपदा राहत के तहत किसानों को राहत नहीं दी गई।