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राजस्थान में 12 साल तक की बच्ची से रेप पर होगी फांसी, विधानसभा में विधेयक पारित

locationजयपुरPublished: Mar 09, 2018 08:43:14 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को 12 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में फांसी की सजा

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जयपुर। प्रदेश में 12 साल से कम उम्र की मासूम से दुष्कर्म करने वालों को मृत्युदंड दिया जा सकेगा। विधानसभा में शुक्रवार को दंड विधियां ‘राजस्थान संशोधन’ विधेयक 2018 पारित किया गया।

सत्तापक्ष—विपक्ष के सदस्यों ने एकसुर में विधेयक का समर्थन किया। हालांकि सदस्यों ने कुछ और धाराओं में कड़े प्रावधान करने की मांग की। मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान देश में दूसरा राज्य हो गया, जिसमें मासूम से दुष्कर्म के बाद फांसी के लिए कानून लाया गया है।
इस संशोधन विधेयक के जरिए भारतीय दण्ड संहिता,1860 में दो नई धाराएं जोड़ी गई है। धारा 376 कख जोड़कर बारह वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार जैसा जघन्य अपराध करने पर मृत्युदण्ड या कठोर कारावास का प्रावधान किया गया है। यह कठोर कारावास चौदह वर्ष से कम नहीं होगा, जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा। इसी प्रकार धारा 376 गघ जोड़ी गई है, जिसके माध्यम से बारह वर्ष से कम आयु की बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार होने पर समूह में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को अपराध का दोषी समझा जाएगा। अपराधी को मृत्युदण्ड अथवा कठोर कारावास से दण्डित करने का प्रावधान किया गया है। कठोर कारावास की अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी और जो आजीवन कारावास तक हो सकेगी। दोनों ही धाराओं में आजीवन कारावास का मतलब अपराधी की मृत्यु तक कारावास से है।
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दुष्कर्म की घटनाओं पर चिंता
इससे पहले विधानसभा में विधेयक पर बहस के दौरान सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्यों ने प्रदेश में नाबालिगों से हो रहे दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई। कांग्रेस के गोबिंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में 1300 बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाएं चिंता का विषय होने के साथ शर्मनाक है। कानून लाना देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज पर सरकार का सराहनीय कदम है। भाजपा के प्रहलाद गुंजल ने कहा कि सरकार बलात्कार के मामलों में भेद कर रही है, मृत्युदंड में उम्र की बाध्यता नहीं रखनी चाहिए।
विधायक जोगाराम पटेल ने कहा कि नाबालिग से दुष्कर्म घृणित अपराध की श्रेणी में है। सरकार को छेड़छाड़ के मामलों में भी कठिन सजा का प्रावधान करना चाहिए। डॉ. फूलचंद भिंडा, निर्दलीय हनुमान बेनीवाल, नंदकिशोर महरिया, बसपा के पूरणमल सैनी और कांग्रेस के धीरज गुर्जर ने भी मासूमों से दुष्कर्मी को फांसी का प्रावधान किए जाने के कानून का समर्थन किया।
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अब आगे क्या
विधानसभा से पारित होने के बाद विधेयक को मंजूरी के लिए राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह कानून बनेगा। पिफलहाल मध्यप्रदेश का कानून राष्ट्रपति के पास विचाराधीन है।
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क्यों लाए कानून

गृह मंत्री गुलाब चन्द कटारिया ने विधेयक लाने के कारण और उद्देश्य बताया। कटारिया ने कहा कि बारह वर्ष से कम आयु की अबोध बालिकाओं के साथ बलात्कार जघन्य अपराध है जो पीड़िता के जीवन को नर्क बना देता है। ऐसा अपराध घटित होने को सुनने मात्र से रूह कांप उठती है। ऐसी बालिकाओं को बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के लिए भयकारी दण्ड लगाना जरूरी है।
इस कानून के माध्यम से समाज एवं प्रदेश की जनता को यह संदेश पहुंचाने का प्रयत्न किया गया है कि अबोध बालिका के साथ बलात्कार करने पर मृत्युदंड भी मिल सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह कानून बनेगा, लेकिन हमने अपनी इच्छा राष्ट्रपति तक पहुंचाने का प्रयत्न किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कानून बनने के बाद देश के अन्य राज्य भी इसको लेकर आगे बढ़ेंगे और स्वयं केन्द्र सरकार भी कानून में बदलाव करके कठोर कानून बना सकता है।
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मध्यप्रदेश से यूं अलग कानून
विधानसभा में पारित विधेयक 12 साल की बच्चियों से दुष्कर्म पर मृत्युदंड का प्रावधान मध्यप्रदेश जैसा ही है, लेकिन मध्यप्रदेश में छेड़छाड़ की धारा 354 और 354 डी में सजा का प्रावधान किया गया है। इनमें आरोपित को तीन से सात साल की सजा का प्रावधान किया गया है।
लेकिन राजस्थान में इन प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया है। गृहमंत्री कटारिया ने बताया कि आए दिन धारा 354 का दुरुपयोग होता है। महिलाएं किसी पर भी आरोप लगा देती हैं और इज्जदार व्यक्ति को परेशानी उठानी पड़ती है। इस दुरुपयोग को देखते हुए यह बदलाव नहीं किया गया है।

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