दरअसल, गफलत चंद्रभान सिंह आक्या के सवाल के साथ शुरू हुई। आक्या ने प्रदेश के बेरोजगारों को दिए जा रहे बेरोजगारी भत्ता को लेकर सवाल पूछा तो मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कुछ और जवाब दिया। इसे लेकर कांग्रेस विधायकाें ने नाराजगी जताई। कांग्रेस विधायकों ने यह तक कह दिया कि मंत्री ने नहीं पता कि जवाब क्या देना है। आक्या भी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आए। आक्या ने कहा जो लिखित में उत्तर दिया गया वह अलग था। टीकाराम जूली ने कहा जो जवाब देना चाहिए था, उसकी तैयारी नहीं है। इसके बाद राठौड़ ने कहा बेरोजगारी भत्ता के लिए मुख्यमंत्री युवा संबल योजना लागू है। इस योजना में वर्तमान में 1लाख 86 हजार 656 से युवाओं को भत्ता दिया जा रहा है। पुरुष आशर्थियो को 4000 रुपए और महिला और अन्य वर्ग को 4.5 हजार अभ्यर्थियों को दिया जा रहा है। पूर्व में इस योजना का नाम अक्षत योजना था। टीकाराम जूली ने कहा 100 दिन की कार्य योजना में क्या यह सरकार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का विचार रखती है या फिर नहीं ? इस पर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा हमारी योजना ही थी। डेटा जिलेवार ही रखा जाता है, टीकाराम जूली ने कहा जो सवाल किया गया था उसका जवाब नहीं दिया।
अधिकारियों को डांटा, बाहर जाने से रोका
हंगामे के बीच प्रश्नकाल खत्म हुआ। हंगामे के चलते 10 प्रश्न ही पूछे जा सके। इसके बाद स्पीकर ने सदन में होने वाले विधायी कार्यों का ब्योरा रखा तो अधिकारी उठकर जाने लगे। इस पर कुछ विपक्षी विधायकों ने स्पीकर को जानकारी दी। देवनानी इस बात से नाराज हुए और सदन से बाहर जाते अधिकारियों को डांट लगाते हुए वहीं रोक दिया। स्पीकर ने यह भी कह दिया कि पांच साल तक चला, अब नहीं चलेगा। स्पीकर ने आसन के पैरों पर खड़े होने के दौरान विधायक शांति धारीवाल के बोलने पर आपत्ति जताई और उन्हें बैठाया।