विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने बताया कि सरकार मुझसे बात कर ले तो गतिरोध समाप्त हो सकता है लेकिन सदन की बैठक 15 जनवरी को नहीं बुलाई जा सकती। इसके लिए 21 दिन का समय देना होगा।
मेघवाल ने राज्यपाल कल्याण सिंह को भी इस मामले से अवगत करा दिया है। उन्हें राज्यपाल ने इस मामले में बताया कि मुझे सत्र बुलाने का सीधा नोटिस भेजा गया था जिस पर मैंने 15 जनवरी को सत्र आहूत कर लिया।
सूत्रों की मानें तो अब इस गतिरोध के सिलसिले में राज्यपाल की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष के साथ बैठक हो सकती है जिसमें यह मामला सुलझ सकता है। विधानसभा के पहले सत्र में प्रोटेम स्पीकर विधायकों शपथ दिलाएगा।
वहीं जानकारी के अनुसार राज्यपाल कल्याण सिंह ने कानूनी मसले पर राय लेने के लिए महाधिवक्ता एमएस सिंघवी को बुलाया है जिसके बाद तय होगा कि सत्र बुलाया जा सकता है या नहीं। यह है कानूनी अड़चन
दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 180 के अनुसार विधानसभा चुनाव के बाद पहली बैठक तक विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकाल होता है। इसी का हवाला देते हुए विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा कि सदन आहुत करने से पहले उनकी राय ली जानी चाहिए थी। लेकिन इस प्रावधान को पूरी तरह से भूला दिया गया है।
राज्यपाल कल्याण सिंह ने विधानसभा सत्र की तारीख को मंजूरी दी है। इसी सत्र में प्रोटेम स्पीकर नए विधायकों को शपथ दिलाएंगे और नए विधानसभा अध्यक्ष का निर्वाचन होगा। 15 जनवरी को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए केबिनेट से पारित प्रस्ताव को राज्यपाल कल्याण सिंह ने मंजूरी दे दी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल उनकी सहमति बिना सत्र की तारीख तय करने को लेकर नाराज हैं। इसके चलते अब तक विधानसभा से 15 वीं विधानसभा के पहले सत्र के लिए अधिसूचना जारी नहीं हो पाई है।
राजभवन बना केन्द्र
इस वैधानिक संकट के समाधान के लिए अब राजभवन केन्द्र बन गया है। संविधान में राज्यपाल को ही इस समस्या का समाधान निकालने का अधिकार दिया है। इस कारण राज्यपाल ने अब महाधिवक्ता एमएस सिंघवी के साथ प्रमुख विधि सचिव महावीर प्रसाद शर्मा व राज्यपाल के सचिव देवाशीष से राय-मशवरा करेंगें। इस बैठक में ही समाधान निकलने की उम्मीद है।
क्या है विवाद
संसदीय परम्परा के अनुसार राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष से सलाह लेकर विधानसभा सत्र की तारीख तय करते हैं। लोकसभा के मामले में भी राष्ट्रपति के सत्र बुलाने को लेकर इसी तरह का प्रावधान है, वहां लोकसभा अध्यक्ष से सलाह लेने की परम्परा है।