इंद्रा तक यूं पहुंची टीम एटीएस के एसपी विकास कुमार ने उदयपुर चौकी के इंस्पेक्टर श्याम रत्नू को देवास भेजा। वहां तीन सदस्यीय टीम ने खोजबीन की। वहां ऐसे कोड पता चले, जिनमें इंद्रा को शेल्टर देने वाले लोग बातचीत करते थे। कोड डीकोड हुए तो पता चला कि इंद्रा सादगी से रहती है। तस्दीक के बावजूद उसे पकड़ना आसान नहीं था क्योंकि वह जगह बदल रही थी। आखिर लगातार निगरानी और तलाश के बाद टीम उस तक पहुंच गई। विकासकुमार ने बताया कि 5 लाख की इनामी इंद्रा को पकडऩे के लिए 5 टीमों ने 5 महीने छानबीन और निगरानी की।
यूं कोड में होती थी बात इंद्रा को पनाह देने वाले लोग वहां हैंडीक्राफ्ट का कारोबार करते हैं, जो कोड वर्ड में बात करते थे। माल मंगवाने-बेचने संबंधी बातचीत भी कोड वर्ड में होती थी। इनमें पंडित, बाबा, कुक, खामसामा, गुरु जैसे शब्दों का उपयोग किया जाता था।
कुछ कोड, जिनका खंगाला अर्थ पंडित जी गंगा नहाने जा रहे हैं यानी काम होने वाला है। आज बगिया से दो ही गुलाब तोड़ने हैं यानी आज दो ही कंटेनर माल जाना है।
कुक से कहना कि आज हलवा बनाना है यानी डिलेवरी आ रही है।