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ATS के हाथ यूं ही नहीं आर्इ इंद्रा, कभी पंडित तो कभी फेरीवाला बन हुर्इ तलाश, चलाया आॅपरेशन ‘माताहारी’

locationमंडलाPublished: Jun 04, 2017 10:07:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

इन्द्रा को पकड़ने के लिए राजस्थान आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) को खासी मशक्कत करनी पड़ी।

इन्द्रा को पकड़ने के लिए राजस्थान आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) को खासी मशक्कत करनी पड़ी। टीम के सदस्य कभी पंडित बने, कभी फेरीवाले। पांच माह पहले देश के एटीएस अफसरों की समन्वय बैठक में सूचना मिली थी कि राजस्थान के वांछित देवास में हैं। इस पर ऑपरेशन ‘अशोक वाटिका’ शुरू किया। दो माह की छानबीन में पता लगा कि इंद्रा वहां है। फिर ऑपरेशन माताहारी शुरू किया। एटीएस की टीम ने साफे बेचने के बहाने घर-घर दस्तक दी। साफे कम थे इसलिए 50 रुपए का साफा लोगों को 200 का बताया ताकि कोई खरीदे नहीं। 
इंद्रा तक यूं पहुंची टीम 

एटीएस के एसपी विकास कुमार ने उदयपुर चौकी के इंस्पेक्टर श्याम रत्नू को देवास भेजा। वहां तीन सदस्यीय टीम ने खोजबीन की। वहां ऐसे कोड पता चले, जिनमें इंद्रा को शेल्टर देने वाले लोग बातचीत करते थे। कोड डीकोड हुए तो पता चला कि इंद्रा सादगी से रहती है। तस्दीक के बावजूद उसे पकड़ना आसान नहीं था क्योंकि वह जगह बदल रही थी। आखिर लगातार निगरानी और तलाश के बाद टीम उस तक पहुंच गई। विकासकुमार ने बताया कि 5 लाख की इनामी इंद्रा को पकडऩे के लिए 5 टीमों ने 5 महीने छानबीन और निगरानी की। 
यूं कोड में होती थी बात 

इंद्रा को पनाह देने वाले लोग वहां हैंडीक्राफ्ट का कारोबार करते हैं, जो कोड वर्ड में बात करते थे। माल मंगवाने-बेचने संबंधी बातचीत भी कोड वर्ड में होती थी। इनमें पंडित, बाबा, कुक, खामसामा, गुरु जैसे शब्दों का उपयोग किया जाता था।
कुछ कोड, जिनका खंगाला अर्थ 

पंडित जी गंगा नहाने जा रहे हैं यानी काम होने वाला है। 

आज बगिया से दो ही गुलाब तोड़ने हैं यानी आज दो ही कंटेनर माल जाना है। 
कुक से कहना कि आज हलवा बनाना है यानी डिलेवरी आ रही है। 

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