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PM मोदी का सपना साकार करने की राह में मिसाल बनीं राजस्थान की बाबू बाई, हर किसी को हो रहा फख्र

locationजयपुरPublished: Oct 09, 2017 10:52:32 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

मिसाल बनीं बाबू बाई: गहने गिरवी रखकर बनाया शौचालय खुले में शौच मुक्ति के अभियान में आदर्श बनी बाबूबाई

Babu Bai Rajasthan
जयपुर।

उदयपुर के जनजाति बाहुल्य क्षेत्र की निवासी बाबू बाई ने अपने गहने तक गिरवी रखकर स्वच्छता आंदोलन की राह में बड़ी मिसाल पेश की है। हुआ यूं कि फलासिया आदिवासी खण्ड में आमोड़ पंचायत की बिखरी आबादी क्षेत्र तोमदार गांव की निवासी बाबूबाई अपने परिवार के खुले में शौच की चुनौती से बहुत परेशान थी। घर के पुरुष तो जैसे तैसे इस समस्या का सामना कर लेते लेकिन घर की बड़ी महिला होने के नाते अपनी बहू- बेटियों का घर से बाहर जाना बाबूबाई को नागवार गुजरा।
पति व पुत्र से भी उन्होंने इसका हल निकालने को कहा लेकिन राहत की कोई तस्वीर नजर नहीं आ रही थी। रोजाना शर्म की स्थिति का सामना करते करते आखिर बाबूबाई ने अपना शौचालय बनाने की ठान ली। कमजोर आर्थिक हालातों की मजबूरी के चलते बाबूबाई को और कोई राह नजर नहीं आ रही थी। लेकिन रोज की शर्मिन्दगी की समस्या को दूर करने का उन्होंने पक्का मन जो बना लिया था।
बाबूबाई कोे अपने आभूषण विकल्प नजर आये। आखिर साढ़े चार हजार में उन्होंने अपने गहने गिरवी रखकर शौचालय का निर्माण कराना शुरू किया। उनके उत्साह को देखते हुए घर के सदस्यों ने भी हौंसला दिया और सामग्री के साथ वे भी सहयोग के लिए आ खड़े हुए। आखिर अपने घर के शौचालय का सपना पूरा करने में बाबूबाई कामयाब रही।
सफाईगिरी पुरस्कार से राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित
इस प्रेरणादायी कार्य के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर आरंभ किए गए सफाईगिरी पुरस्कार “स्वच्छता ही सेवा चैम्पियन“ से बाबूबाई को हाल ही गांधी जयन्ती के मौके पर दिल्ली में सम्मानित किया गया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत श्रेष्ठ एवं उल्लेखनीय कार्य के लिए इंडिया टूडे की ओर से चयनित व्यक्तित्व को यह पुरस्कार दिया जाता है। दिल्ली से पुरस्कार लेकर लौटने पर जिला कलक्टर बिष्णुचरण मल्लिक ने बाबूबाई का अभिनंदन किया और नेक कार्य के लिए बधाई दी।
जिला प्रशासन ने भी किया सम्मान
हाल ही जिला प्रशासन की ओर से आरंभ किए गए “स्वच्छता ही सेवा“ के जिला स्तरीय शुभारंभ समारोह के अवसर पर जिला कलक्टर एवं जनप्रतिनिधिगण की मौजूदगी में बाबूबाई को पुरस्कृत किया गया था।

आर्टिकल स्रोत- DIPR

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