ऐसे में राजस्थान को पॉलिटिकल टूरिज्म का सबसे बड़ा केंद्र भी कहा जाने लगा है। 2005 से अब तक यहां झारखंड, उत्तराखंड, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात व मध्यप्रदेश और गुजरात के विधायकों की बाड़ाबंदी हो चुकी है। सूत्रों की माने तो राजस्थान में बाड़ाबंदी की शुरुआत 1996 में भैरोसिंह शेखावत के दौर में हुई थी, जब जनता दल से बगावत करके आए विधायकों को भाजपा में शामिल कराकर भाजपा की सरकार बनवाई गई थी।
हालांकि उसके बाद ये चलन राजस्थान में बढ़ता चला गया। सबसे पहले इसकी शुरुआत 2005 में हुई जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झारखंड की अर्जुन मुंडा सरकार को बचाने के लिए झारखंड के विधायकों की जयपुर में बाड़ाबंदी की थी, उन्हें अजमेर रोड स्थित एक बड़े रिसोर्ट में शिफ्ट किया गया था। बाड़ाबंदी के चलते झारखंड में अर्जुन मुंडा सरकार बच गई थी।
हरीश रावत सरकार पर संकट के समय हुई थी बाड़ाबंदी
2016 में उत्तराखंड में तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर जब सियासी संकट आया था, उस वक्त हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, भाजपा विधायकों के टूटने और खरीद फरोख्त के डर से भाजपा ने अपने दो दर्जन से ज्यादा विधायकों को जयपुर भेजा था, इन्हें दिल्ली रोड स्थित एक रिसोर्ट में ठहराया गया था। धूलंडी का पर्व होने के चलते भाजपा विधायकों ने धूलंडी भी रिसोर्ट में मनाई थी। हालांकि फ्लोर टेस्ट में हरीश रावत सरकार ने बहुमत साबित कर दिया था।
नवंबर 2019 में महाराष्ट्र के लिए हुई थी बाड़ाबंदी
वहीं 2019 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने और जोड़तोड़ की सरकार बनाने के लिए कांग्रेस अपने विधायकों को जयपुर शिफ्ट किया था। नवंबर में कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को दिल्ली रोड स्थित ब्यूना विस्टा रिसोर्ट में करीब दो सप्ताह तक ठहराया था।
बाद में भाजपा की फडनवीस सरकार फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर सकी और शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन वाली उद्धव ठाकरे सरकार सत्ता में आई।
मार्च 2020 में मध्यप्रदेश और गुजरात राज्यसभा चुनाव के लिए हुई बाड़ाबंदी
वहीं साल 2020 में मार्च माह की शुरुआत में मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पर आए सियासी संकट के बीच कांग्रेस विधायकों को भी जयपुर शिफ्ट किया था। इन्हें भी ब्यूना विस्टा रिसोर्ट में करीब दो सप्ताह तक ठहराया था। बाड़ाबंदी की कमान खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों में थीं।
हालांकि विधायकों के टूटने से कमलनाथ सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई थी। वहीं गुजरात में चार सीटों पर हो रहे राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर भी कांग्रेस विधायकों को जयपुर शिफ्ट किया गया था। इन्हें भी दिल्ली रोड स्थित एक रिसोर्ट में ठहराया गया था। हालांकि तभी कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन हो गया और राज्यसभा चुनाव स्थगित कर दिए गए थे।