– जयपुर जिला अध्यक्ष सुनील कोठारी का इस्तीफा, गुटबाजी को माना जा रहा इस्तीफे का कारण, हालांकि कोठारी ने त्यागपत्र को बताया व्यक्तिगत कारण, अब कार्यालय मंत्री से ‘अध्यक्ष’ बनाए गए राघव शर्मा, ‘गुटबाजी’ दूर करने की रहेगी सबसे बड़ी चुनौती, प्रदेश नेतृत्व भी चाहता था पड़ में बदलाव!
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जयपुर। प्रदेश भाजपा को अपने ‘गढ़’ में ही गुटबाजी का सामना करना पडा है। जयपुर जिले में खुलकर सामने आई धड़ेबाजी ने पार्टी में अंतर्कलह की पोल खोलकर रख दी है। नौबत यहां तक बिगड़ गई कि गुटबाजी से तंग आकर जिले के अध्यक्ष ने ही हार मान ली और संगठन को अपना इस्तीफा दे दिया। हालांकि जिलाध्यक्ष पद से सुनील कोठारी ने एक अनुशासित कार्यकर्ता की तरह बिना ‘हल्ला’ मचाये पद त्यागने के पीछे व्यक्तिगत कारण बताया। कोठारी को इसी साल जनवरी माह में ये ज़िम्मेदारी मिली थी।
अब उनकी जगह जयपुर जिलाध्यक्ष बनाए गए राघव शर्मा के सामने चरम पर पहुंची हुई गुटबाजी को दूर कर नेताओं-कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की चुनौती रहेगी। राघव पहले भी इस पद पर रह चुके हैं, लिहाजा जिले में उनकी पकड़ और अनुभव से पार्टी को फ़ायदा ज़रूर मिल सकते हैं। फिलहाल वे पार्टी में कार्यालय मंत्री के पद पर रहते हुए कार्य कर रहे थे।
जयपुर में धड़ेबाजी चरम पर ! पार्टी सूत्रों की माने तो पिछले कुछ दिनों से जयपुर जिला भाजपा में अंदरूनी घमासान अन्दर ही अन्दर इस कदर बढ़ गया था कि नेताओं के बीच धड़ेबाजी हो गई थी। बताया गया कि जिलाध्यक्ष सुनील कोठारी के निर्देशों को भी एक धड़े के नेता-कार्यकर्ता मानते ही नहीं थे। यही वजह रही कि कोठारी पिछले लगभग आठ महीने का वक्त गुजरने के बाद भी अपनी नई कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाए थे।
मिली जानकारी के अनुसार कोठारी को अध्यक्ष बनाने के बाद से ही जिला संगठन के एक धड़े में नाराज़गी दिखने लगी थी जिसके बाद वे उनके खिलाफ ही चल रहे थे। पार्टी की ओर से 15 अगस्त को बड़ी चौपड़ कार्यक्रम हो या हल्ला बोल कार्यक्रम, कोठारी के निर्देश के बाद भी नाराज़ धड़े के नेता-कार्यकर्ता अनुपस्थिति रहने लगे थे। सूत्रों की माने तो इन्ही सब अंदरूनी कलह से तंग आकर कोठारी ने इस्तीफा दिया है।
प्रदेश नेतृत्व भी चाहता था बदलाव ! वहीं पार्टी से जुड़े अन्य सूत्र ये भी बताते हैं कि सुनील कोठारी के बतौर जयपुर जिलाध्यक्ष कामकाज से पार्टी नेतृत्व भी संतुष्ट नहीं था। बताया जा रहा है कि पार्टी को कोठारी की कार्यशैली में वो आक्रामकता दिखाई नहीं दे रही थी, जो जयपुर जिले को अन्य जिलों के लिए आदर्श साबित हो सके। इस कारण संगठन भी इस महत्वपूर्ण पद पर बदलाव लाने का मन बना रहा था।
बताया जा रहा है कि कोठारी के इस्तीफा देने के बाद प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर से चर्चा करने और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी सतीश से अनुमति लेने के बाद पूर्व में अध्यक्ष रहे राघव शर्मा को ही एक बार फिर ये दायित्व दिया है।
राघव के लिए चुनौतियों से भरी होगी ज़िम्मेदारी कोठारी को जिन भी वजहों से त्यागपत्र देना पडा है वे ही वजह नए अध्यक्ष राघव शर्मा के लिए चुनौती बनी रहेगी। अंदरूनी कलह और गुटबाजी को दूर करते हुए सभी को एकजुट करना हो, आक्रामक शैली में काम करते हुए दूसरे जिलों के लिए नजीर बनाना हो या लम्बे समय से अटकी हुई कार्यकारिणी का गठन हो, सभी उम्मीदों पर खरा उतरना राघव शर्मा के लिए बड़ी चुनौती रहेगी।