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चुनावी साल में नेताओं के दर से जन गायब, ऐसे लग सकता है पार्टी को तगड़ा झटका!

locationजयपुरPublished: Sep 30, 2018 11:59:58 pm

Submitted by:

rohit sharma

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जयपुर ।

लोकतंत्र में मशहूर है कि नेताओं को जनता की याद चुनाव में आती है, जबकि पांच साल तक लोग अपने कामकाज के लिए मंत्री-विधायकों के यहां चक्कर काटते रहते हैं। चुनाव की तैयारियां चल रही हैं और जनता अब नेताओं के दर से गायब दिख रही है। यह मंजर सिविल लाइंस व विधायक आवासों पर देखने को मिले।
पत्रिका ने लिया विधायक और मंत्रियों के आवासों का जायजा-

मिलने के लिए कोई नहीं था

शनिवार दोपहर करीब एक बजे अधिकांश मंत्रियों के बंगले सूने पड़े थे। जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप अपने कुछ समर्थकों के साथ बंगले से सरकारी गाड़ी में बाहर निकल रहे थे, लेकिन उनसे मिलने के लिए कोई नहीं था।

सुरक्षाकर्मी ही थे वहां

यही हालात गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक, सामाजिक न्याय मंत्री अरुण चतुर्वेदी, जीएडी मंत्री हेम सिंह भड़ाना के बंगलों में देखने को मिले। कुछ सुरक्षाकर्मी ही बंगलों में दिख रहे थे।

सीट और टिकट बचाने की जुगत

कुछ विधायकों के नजदीकी कार्यकर्ताओं से बात की तो उनका कहना है कि विधायकों को अब काम से ज्यादा अपना टिकट और सीट बचाने की चिंता सता रही है। ऐसे में विधायकों को टिकट के लिए बड़े नेताओं के यहां हाजिरी देनी पड़ रही है तो इलाके में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जनता के दरबार में जाना पड़ रहा है।

यहां पसरा था सन्नाटा

सिविल लाइंस के मुख्य मार्ग पर पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ व वन एवं पर्यावरण मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के बंगलों में कोई नहीं था। यहां एक भी मिलने आने वाला नहीं मिला। दोनों ही बंगलों में सन्नाटा था।

विधायक नगर भी सूने

ज्योति नगर, लालकोठी विधायक नगर और विधायकपुरी में अधिकांश विधायकों के सरकारी आवास पर मिलने-जुलने के लिए कोई मौजूद नहीं था। अधिकांश आवास में विधायकों के परिजन ही नजर आए।
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