मोर्चों पर रहेगा ‘जीत’ दिलाने का दारोमदार
प्रदेश भाजपा के सातों मोर्चों को हाल ही में नई शक्ल दी गई है। फील्ड में लगातार क्रियाशील बने वरिष्ठ और अनुभवी कार्यकर्ताओं के साथ जातीय समीकरणों का तालमेल बैठाते हुए मोर्चों की नई टीमें बनाई गई हैं। अब इन्हीं मोर्चों के सहारे पार्टी को आगामी विधानसभा उपचुनाव और फिर वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने और जीत दिलाकर सत्ता तक पहुंचाने का दारोमदार होगा।
जल्द रफ़्तार पकड़ेगा विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला
सूत्रों की माने तो सात मोर्चों की संयुक्त बैठक में मोर्चों को पूरे दम-ख़म के साथ फील्ड में उतरने के निर्देश दिए जायेंगे। मोर्चों के अब तक गठन नहीं होने के चलते भाजपा गिने-चुने विरोध-प्रदर्शन ही कर सकी है। ऐसे में अब तमाम मोर्चे जल्द ही राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों को लेकर सड़कों पर उतरते दिखाई दे सकते हैं।
सोशल मीडिया पर भी रहेगा फोकस
प्रदेश भाजपा ने कोरोना काल के दौरान वर्चुअल माध्यमों का बखूबी सहारा लेते हुए राज्य सरकार को जमकर घेरा। सडकों पर विरोध-प्रदर्शन के साथ ही वर्चुअल माध्यमों का भी ज़्यादा से ज्यासा इस्तेमाल करने पर पार्टी का फोकस बना हुआ है। ऐसे में मोर्चों को सोशल मीडिया पर भी ज़बरदस्त रूप से एक्टिव रहने के निर्देश दिए जा सकते हैं।
ये हैं संयुक्त बैठक में शामिल
किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष हरिराम रणवां, महिला मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष डॉ अल्का मूंदड़ा, युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष हिमांशु शर्मा, एससी मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष कैलाश मेघवाल, एसटी मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र मीणा, अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष एम. सादिक खान, ओबीसी मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश भड़ाणा सहित सभी मोर्चों के पदाधिकारी एवं कार्यसमिति सदस्य उपस्थित रहेंगे।