मंडल अध्यक्षों के ‘चक्रव्यूह’ में फंसी भाजपा राजस्थान भाजपा संगठन चुनाव कराने में जुटी है, मगर चुनाव की प्रक्रिया बेपटरी होती दिख रही है। अभी तक ज्यादातर मंडल अध्यक्षों की घोषणा नहीं की गई है। इसके बावजूद पार्टी जिलाध्यक्ष और प्रदेश प्रतिनिधियों के निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इन दोनों पदों के लिए 8 और 9 दिसंबर को नामांकन दाखिल होंगे। इसके बाद 10 दिसंबर को इन पदों के लिए निर्वाचन किया जाएगा।
पार्टी के नेता यही कहते नजर आ रहे है कि मंडल अध्यक्ष तय हो चुके हैं जल्द ही नाम घोषित कर दिए जाएंगे। मगर सवाल यह उठता है कि अगर मंडल अध्यक्ष तय हो चुके हैं तो नाम घोषित क्यों नहीं किए जा रहे हैं। यही नहीं अगर इसमें देरी हो रही है तो फिर जिलाध्यक्षों और प्रदेश प्रतिनिधियों की चुनाव प्रक्रिया क्यों शुरू की जा रही है।
प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव में हो सकती है देरीचुनाव में लगातार हो रही देरी की वजह से पार्टी ने संगठन चुनाव के लिए दो राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को पर्यवेक्षक के रूप में लगाया है। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया है।
हालांकि पार्टी से छनकर जो खबरें आ रही हैं, उनके अनुसार ये दोनों नेता प्रदेशाध्यक्ष के चयन के समय ही राजस्थान आएंगे, लेकिन जिस तरह से मंडल अध्यक्षों के चुनाव में देरी हो रही है, उससे लग रहा है कि प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव तय समय पर शायद ही हो पाए।
प्रभारियों को किया दरकिनारमंडल अध्यक्षों के चुनाव में विधानसभा और लोकसभा प्रभरियों को दरकिनार कर दिया गया। मंडल अध्यक्षों के नामों को लेकर इन प्रभारियों की कोई राय नहीं ली गई, जबकि चुनाव के दौरान इन प्रभारियों की अहम भूमिका रही। यही नहीं प्रभारियों को यह भी पता है कि कौन कार्यकर्ता और नेता इस पद के लायक है।