सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष केन्द्रीय कृषि मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान की कमान सौंपना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश के नेताओं ने जातिगत समीकरणों का हवाला देते हुए इस पर हामी नहीं भरी है।
ऐसे में मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा नहीं हो पाई। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और राजस्थान के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र यादव कोशिश में लगे हैं कि गजेन्द्र सिंह के नाम पर सहमति बन जाए।
दिल्ली और जयपुर के बीच नेताओं में कई चरणों की बातचीत भी हो चुकी है लेकिन प्रदेश के नेता हर बार जातिगत समीकरणों का ही हवाला दे रहे हैं। उधर अमित शाह अभी कनार्टक दौरे पर हैं और गजेन्द्र सिंह शेखावत भी देश से बाहर हैं। एेसे में मामला सुलझने और नाम तय होने में अभी और समय लग सकता है।
ये भी हैं दौड़ में
मेघवाल के साथ ही अरुण चतुर्वेदी, ओम बिड़ला, सुरेंद्र पारीक, लक्ष्मीनारायण दवे, सतीश पूनिया तथा गजेंद्र सिंह शेखावत के नाम चर्चा में है। हालांकि अब प्रदेशाध्यक्ष कोई राजपूत जाति से आता है तो जाट मतदाताओं और जाट जाति के किसी नेता को यह जिम्मेदारी सौंपने पर राजपूत मतदाताओं में नाराजगी होने का जोखिम माना जा रहा है। ऐसे में एससी या ब्राह्मण जाति के किसी नेता को स्वीकार्य चेहरे के तौर पर सामने लाया जा सकता है।
मेघवाल के साथ ही अरुण चतुर्वेदी, ओम बिड़ला, सुरेंद्र पारीक, लक्ष्मीनारायण दवे, सतीश पूनिया तथा गजेंद्र सिंह शेखावत के नाम चर्चा में है। हालांकि अब प्रदेशाध्यक्ष कोई राजपूत जाति से आता है तो जाट मतदाताओं और जाट जाति के किसी नेता को यह जिम्मेदारी सौंपने पर राजपूत मतदाताओं में नाराजगी होने का जोखिम माना जा रहा है। ऐसे में एससी या ब्राह्मण जाति के किसी नेता को स्वीकार्य चेहरे के तौर पर सामने लाया जा सकता है।