वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से वनौषधि का उत्पादन होता है। इसे वन सुरक्षा समितियों के सदस्य एकत्र कर उपयोग करते हैं। वन संरक्षण अधिनियम के तहत वनौषधि उत्पादन के लिए वन भूमि का पट्टा देना प्रतिबंधित है। केवल वनौपज एकत्र करने के अधिकार पत्र दिए जा सकते हैं।
पैकेज सुधरा नहीं, टाइगर रिजर्व से विस्थापित नहीं हुए गांव
प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व क्षेत्र में मानवीय दखल कम ही नहीं हो रहा है। हालत यह है कि गांव विस्थापित करने की योजना करीब 12 साल बाद भी गति नहीं पकड़ सकी है। कुल 110 गांव खाली कराने हैं लेकिन अब तक एक दर्जन गांव ही पूर्ण रूप से खाली हो सके हैं। विस्थापित करने के पैकेज में सुधार के वादे के तहत राज्य सरकार ने केन्द्र को प्रस्ताव भेजा लेकिन केन्द्र ने मंजूरी देने से मना कर दिया है। वन विभाग ने गत दो वर्षों में करीब 5180 लाख रुपए खर्च किए हैं।
प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व क्षेत्र में मानवीय दखल कम ही नहीं हो रहा है। हालत यह है कि गांव विस्थापित करने की योजना करीब 12 साल बाद भी गति नहीं पकड़ सकी है। कुल 110 गांव खाली कराने हैं लेकिन अब तक एक दर्जन गांव ही पूर्ण रूप से खाली हो सके हैं। विस्थापित करने के पैकेज में सुधार के वादे के तहत राज्य सरकार ने केन्द्र को प्रस्ताव भेजा लेकिन केन्द्र ने मंजूरी देने से मना कर दिया है। वन विभाग ने गत दो वर्षों में करीब 5180 लाख रुपए खर्च किए हैं।
गांव विस्थापन योजना की स्थिति
टाइगर रिजर्व — कुल गांव — विस्थापित — आंशिक
रणथंभौर — 65 — 8 — 6
सरिस्का — 29 — 4 — 5
मुकुन्दरा — 14 — 0 — 2
टाइगर रिजर्व — कुल गांव — विस्थापित — आंशिक
रणथंभौर — 65 — 8 — 6
सरिस्का — 29 — 4 — 5
मुकुन्दरा — 14 — 0 — 2
अच्छी बात : एक दशक में हरियाली लगातार बढ़ी
प्रदेश में गत एक दशक के दौरान वन समेत अन्य स्थानों पर हरियाली बढ़ी है। सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की, पौधरोपण खूब हुआ है। यही वजह है कि भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की भारत वन स्थिति की 2015 की रिपोर्ट में प्रदेश में वन आवरण 16171 वर्ग किलोमीटर बताया गया। यह पहले की तुलना में करीब 84 वर्ग किलोमीटर अधिक है। इससे पहले वन आवरण क्षेत्र 16087 वर्ग किलोमीटर था। वर्ष 2009 में यह 16036 वर्ग किलोमीटर था।
प्रदेश में गत एक दशक के दौरान वन समेत अन्य स्थानों पर हरियाली बढ़ी है। सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की, पौधरोपण खूब हुआ है। यही वजह है कि भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की भारत वन स्थिति की 2015 की रिपोर्ट में प्रदेश में वन आवरण 16171 वर्ग किलोमीटर बताया गया। यह पहले की तुलना में करीब 84 वर्ग किलोमीटर अधिक है। इससे पहले वन आवरण क्षेत्र 16087 वर्ग किलोमीटर था। वर्ष 2009 में यह 16036 वर्ग किलोमीटर था।