वहीं बीजेपी में चल रहा रायशुमारी का दौर भी कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के टिकट काट सकता है। प्रदेश में विरोधी लहर होने के कारण पार्टी चुनावों में किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है। इसी लिए पार्टी के साथ केंद्रीय नेतृत्व पूरी भागीदारी निभा रहा है। शाह और मोदी की राजस्थान में सभा के बाद साफ़ है कि टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव लड़ने तक केंद्रीय नेतृत्व की भागीदारी तय है।
वहीं पार्टी में हलचल है की इस बार पार्टी विरोधी लहर को देखते हुए सिर्फ जिताऊ नेताओं और कार्यकर्ताओं को ही टिकट मिलेगा। साथ ही मीडिया खबरों और पार्टी सूत्रों की मानें तो बीजेपी में करीब 80 विधायकों के टिकट कट सकते हैं। ऐसे में टिकट बंटवारा पार्टी के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर सकता है।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में पार्टी टिकट को लेकर बयान भी दिया था। राजे ने कहा था कि ‘टिकट किसी को भी मिले कमल को जिताने का काम करना है। आप लोगों को नाराज होने की बात नहीं है। टिकट किसी एक को मिलेगा। अगर चार लोगों को टिकट ना मिले एक को मिल जाए, तो वह चार लोग भी कमल को जिताने का काम करें’।