राजस्थान बोर्ड : मिसाल बनाने की चाह में बिगाड़ दिया विद्यार्थियों का भविष्य
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Rajasthan Board of Secondary Education) की परीक्षाओं (Examinations) के परिणाम रिकॉर्ड समय (Result record time) में जारी करने आौर देशभर में मिसाल कायम करने के लिए हजारों विद्यार्थियों का भविष्य संकट में आ गया है। परीक्षकों (Testers) द्वारा जल्दबाजी में उत्तर पुस्तिकाएं (Answer sheets) जांचने की हड़बड़ी में अनेक त्रुटियां सामने आ रही है।

अजमेर। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Rajasthan Board of Secondary Education) की परीक्षाओं (Examinations) के परिणाम रिकॉर्ड समय (Result record time) में जारी करने आौर देशभर में मिसाल कायम करने के लिए हजारों विद्यार्थियों का भविष्य संकट में आ गया है। परीक्षकों (Testers) द्वारा जल्दबाजी में उत्तर पुस्तिकाएं (Answer sheets) जांचने की हड़बड़ी में अनेक त्रुटियां सामने आ रही है। शिक्षा बोर्ड आौर परीक्षकों की इसी लापरवाही की वजह से जटवाड़ा निवासी एक छात्र को आत्महत्या करनी पड़ी। वहीं अनेक विद्यार्थी ऐसे हैं जिन्हें एक विषय में 0 से 7 नंबर मिले हैं, जबकि अन्य विषयों में उनके अंक 70 से 80 तक हैं।
डेढ़ लाख विद्यार्थी करते हैं री-टोटलिंग के लिए आवेदन
शिक्षा बोर्ड की कॉपियां जांचने में लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। यह हालात पिछले अनेक वर्ष से चल रहे हैं। प्रति वर्ष लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थी अपने परिणाम से असंतुष्ट होकर उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा (री-टोटलिंग) के लिए आवेदन करते हैं और इनमें से 15 से 20 हजार विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं जांचने में परीक्षकों की गलतियां निकलती है। हैरत की बात है कि हजारों विद्यार्थी जो मुख्य परीक्षा परिणाम में उनुत्तीर्ण या पूरक के योग्य घोषित होते हैं वे संवीक्षा की बदौलत प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो जाते हैं। संवीक्षा के तहत अनेक विद्यार्थियों के 50 अंक तक बढ़ जाते हैं जो परीक्षकों की लापरवाही को उजागर करता है। राजस्थान पत्रिका ने परीक्षा प्रारंभ होने से पूर्व ही बोर्ड और परीक्षकों की लापरवाही से लाखों विद्यार्थियों को खामियाजा भुगतने की आशंका संबंधी समाचार प्रकाशित किया था।
चार स्कूल के विद्यार्थी हिंदी में फेल
जयपुर जिले के रोजवाड़ी, राजपुरा, झर, जटवाड़ा, कानोता के राजकीय विद्यालय आसपास स्थित है। यहां पढऩे वाले अधिकांश विद्यार्थी सीनियर सेकेंडरी कला संकाय में एक ही विषय हिंदी साहित्य में अनुतीर्ण हो गए हैं। जबकि अन्य विषयों में इन विद्यार्थियों प्राप्तांक काफी अधिक है।
एक विद्यार्थी ने की आत्महत्या
जटवाड़ा निवासी विद्यार्थी लखनलाल सैनी की सीनियर सेकेंडरी कला वर्ग हिंदी विषय में सप्लीमेंट्री आ गई। उसे इस विषय में महज सात नंबर मिले, जबकि अन्य विषयों में उसके अंक काफी अधिक है। परिणाम निकलते ही उसने मालगाड़ी से कटकर आत्महत्या कर ली।
अन्य जिलों में भी यही हाल
बीकानेर की एक छात्रा के सीनियर सेकेंडरी कला वर्ग कम्प्यूटर साइंस इंफार्मेशन टैक्नॉलॉजी विषय में 80 में से महज 3 अंक आए हैं। जबकि इस छात्रा के अन्य विषय में औसत अंक लगभग 80 प्रतिशत है। कमोबेश पूरे राज्य में ही इस तरह के अनेक प्रकरण सामने आ रहे हैं। संवीक्षा के लिए प्रति वर्ष बढ़ते जा रहे आवेदन से साबित होता है कि ऐसे मेधावी विद्यार्थियों की कॉपियां जांचने में जमकर गलतियां की जाती है।
इस संबंध में बोर्ड अध्यक्ष डॉ. डी. पी. जाराोली एवं सचिव अरविंद सेंगवा से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं हो पाई।
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