बसपा विधायकों के विलय के मामले में पहले हाईकोर्ट की एकलपीठ में मंगलवार को सुनवाई तय थी, लेकिन रविवार शाम जारी सुप्रीम कोर्ट की वाद सूची से घटनाक्रम में नया मोड आ गया। दिलावर ने एसएलपी में हाईकोर्ट की खण्डपीठ के 6 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है और 14 अगस्त को शुरु होने वाले सत्र को ध्यान में रखते हुए बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों को सदन में मतदान से रोकने की प्रार्थना की है।
एसएलपी में कहा है कि बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितम्बर 19 के आदेश और इन विधायकों को मतदान सहित अन्य कार्य से नहीं रोका गया तो याचिकाकर्ता दिलावर को अपूरणीय क्षति होगी, जिसकी आर्थिक तरीके से भरपाई नहीं हो सकती। इसमें यह भी कहा है कि पहले हाईकोर्ट की एकलपीठ से 30 जुलाई 20 को इन विधायकों के विलय के आदेश पर रोक की मांग की गई थी और वहां से आदेश नहीं मिलने पर 6 अगस्त 20 को हाईकोर्ट की खण्डपीठ से इसी तरह की मांग की गई, लेकिन दोनों ही जगह से रोक का आदेश नहीं मिल पाया।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इन विधायकों के विलय के मामले में 11 अगस्त को सुनवाई तय कर रखी है और खण्डपीठ ने एकलपीठ से इसी दिन स्थगन प्रार्थना पत्र पर सुनवाई कर निर्णय करने को कहा है।
तीन न्यायाधीशों की बेंच करेगी सुनवाई
दिलावर की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश अरुण मिश्रा, न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायाधीश कृष्ण मुरारी की बेंच सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में इस तरह चली फाइल
7 अगस्त— दिलावर की एसएलपी पेश की गई
8 अगस्त— 1910 रुपए फीस और जमा करवाकर सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति को दूर किया गया। साथ ही, विधानसभा अध्यक्ष और सी पी जोशी के एसएलपी में आवश्यक पक्षकार होने की आपत्ति पर स्पष्टीकरण दिया।
9 अगस्त — सायं 4.49 बजे सुप्रीम कोर्ट के आॅफिस ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और सायं 5.12 बजे सुनवाई के लिए सोमवार की वाद सूची जारी।