बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों का पेंच ऐसा बना हुआ है जो सरकार के लिए कभी भी परेशानी बन सकता है। बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायक सरकार को बचाने और बिगड़ने के ‘गणित’ में अहम् किरदार साबित हो रहे हैं। विधायक मदन दिलावर और बसपा की ओर से विलय की आपत्तियों को यदि कोर्ट स्वीकार ककर लेता है तो प्रदेश का ‘सियासी गणित’ बिगड़ सकता है।
– दिलावर की ओर से अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि बसपा के विधायकों का विलय पूरी तरह से अमान्य है, क्योंकि बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है उसका राज्य स्तर पर विलय कैसे मंजूर हो सकता है। इस पर कोर्ट ने साल्वे से कहा कि आपकी याचिका तकनीकी आधार पर खारिज हुई है।
– कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से किए तीन सवाल:- बसपा विधायकों के विलय के 6 माह से अधिक समय बाद याचिका दायर करने का कारण क्या है? आप किस आधार पर कोर्ट आए है आपकी याचिका सुनवाई योग्य कैसे है? क्या विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में मेरिट पर निर्णय किया है?
– बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने कहा कि जब तक कि राष्ट्रीय पार्टी की ओर से स्वीकृति नही मिल जाती तब तक राज्य स्तर पर विधायको का विलय नहीं किया जा सकता, इस मामले में राष्ट्रीय नेतृत्व ने विलय को मंजूरी नही दी है इसलिए विलय पूरी तरह से अमान्य है।