दूसरे बजट में 50 करोड़ की घोषणा – राज्य सरकार ने 3 साल पहले जब स्वच्छता मिशन शुरू किया था, उसी वित्तीय वर्ष 2015-16 के बजट में प्रदेश के निकायों को 31 दिसम्बर 2017 तक खुले में शौच मुक्त करने की घोषणा की थी। इसके लिए 2015-16 के बजट में 50 करोड़ रूपए का बजटीय प्रावधान भी किया गया था। इसके बाद स्वच्छता मिशन के तहत हर साल ओडीएफ के पेटे बजट मिलता रहा, लेकिन राज्य सरकार 31 दिसम्बर 2017 तक निकायों को ओडीएफ घोषित करने में नाकाम साबित हुई है।
3 बार बढ़ी डैडलाइन, आज अंतिम दिन – गौरतलब है कि स्वायत्त शासन विभाग राज्य के सभी 191 निकायों को ओडीएफ घोषित करने की डैडलाइन तीन बार बढ़ा चुका है। पहले 31 दिसम्बर 2017 की डैडलाइन थी, जिसे एक महीना बढ़ाकर 31 जनवरी 2018 किया गया। लेकिन इस डैडलाइन तक भी 50 से ज्यादा निकाय ओडीएफ नहीं हो पाए तो डैडलाइन को बढ़ाकर 10 फरवरी 2018 कर दिया गया। इस डैडलाइन का आज आखिरी दिन है। बताया जा रहा है कि अभी भी राज्य के करीबन 40 निकाय ऐसे हैं, जो ओडीएफ घोषित करने की स्थिति में नहीं है। वहां पर शौचालयों के निर्माण का
काम ? पूरा नहीं हुआ है। स्वायत्त शासन विभाग ने सप्ताहभर पहले आदेश निकालकर सभी निकायों को 10 फरवरी तक हर हाल में ओडीएफ की तैयारियों का डेटा केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर डालने के लिए कहा था। अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि विभाग आज राजस्थान के 191 निकायों को ओडीएफ घोषित कर पाता है या एक बार फिर से तारीख बढ़ाएगा।
केन्द्र सरकार करेगी ओडीएफ घोषित – जानकारी के अनुसार राज्य सरकार प्रदेश के निकायों को ओडीएफ घोषित करने के लिए जरूरी शौचालय निर्माण करवा रही है। जब निकाय के सभी लोग शौचालय का उपयोग शुरू कर दें और खुले में शौच जाना बंद कर दें तब राज्य सरकार इसकी रिपोर्ट केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भिजवाती है। इसके बाद केन्द्र सरकार अपने स्तर पर राज्य सरकार के दावों की जांच और निरीक्षण के बाद ही निकायों को ओडीएफ घोषित करती है। केन्द्र सरकार ने जनवरी 2018 में ही राजधानी
जयपुर को ओडीएफ घोषित किया था। जबकि नगर निगम जयपुर को सितम्बर 2017 में ही ओडीएफ घोषित कर चुका था।