सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं युवाओं की..राजस्थान विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत युवाओं का ही रहा है। ऐसे में युवाओं को सरकार से रोजगार की आस है। वहीं, आम लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और राज्य की सुरक्षा को लेकर उम्मीदें है। व्यापारियों को उद्योग धंधों में बढ़ोतरी चाहिए तो महिलाओं को सुरक्षा। साथ ही तकनीकी शिक्षा को जीवन कौशल से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी उम्मीद है।
बता दें कि राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के गहलोत सरकार का पहला बजट होगा। इंडस्ट्री लीडर्स, व्यापारियों, मिडिल क्लास लोग, किसान वर्ग, छात्र, महिला समेत अन्य लोग बजट से उम्मीद लगाए बैठे हैं। फिलहाल तो राजस्थान में आमजन को बजट पेश होने से पहले ही दोहरी मार झेलनी पड़ी है। एक तरफ केंद्रीय बजट में पेट्रोल और डीजल पर सेस बढ़ाया गया वहीं, दूसरी तरफ राजस्थान सरकार ने भी पेट्रोल और डीजल पर 4 प्रतिशत कर बढ़ोतरी कर दी। ऐसे में आम जनता की जेब पर बजट पेश होने से पहले ही बोझ पड़ गया।
सत्ता परिवर्तन के बाद हुआ था लेखानुदान पेश राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार विधानसभा में अंतरिम बजट (लेखानुदान) पेश किया था। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में सरकार बनने के बाद CM गहलोत का पहला लेखानुदान था। 13 फरवरी को विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ये लेखानुदान पेश किया था।
दरअसल, लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह संभव नहीं है कि बजट प्रस्तावों पर चर्चा कर के 31 मार्च से पहले बजट को पास करा लिया जाए। ऐसे में लेखानुदान पेश किया गया था। पहले भी सरकार में इस तरह लेखानुदान की परंपरा रही है।
क्या है लेखानुदान? लेखानुदान के तहत सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं करती है। इसके पीछे सैद्धांतिक तर्क यह है कि चूंकि चुनाव के बाद दूसरी पार्टी की सरकार बन सकती है, ऐसे में मौजूदा सरकार पूरे साल के लिए नीतिगत फैसले नहीं ले सकती। हालांकि, इस पर नियम स्पष्ट नहीं हैं और ये बाध्यकारी भी नहीं है।
अंतरिम बजट और आम बजट में अंतर क्या है? अंतरिम बजट में वित्त वर्ष की कुछ अवधि के खर्चों के लिए संसद से लेखानुदान पारित किया जाता है। हालांकि, आम बजट की तरह अंतरिम बजट में भी पूरे वर्ष के लिए बजट अनुमान पेश होता है, लेकिन नई सरकार को पूरी छूट होती है कि वह पूर्ण बजट पेश करते हुए इस बजट अनुमान को पूरी तरह बदल दे।
CM गहलोत के प्रस्ताव पर पारित हुआ था लेखानुदान
वहीं साल 2012-13 में भी तीन माह का लेखानुदान रखा था। वर्ष 2012-13 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री ( Cm Ashok Gehlot ) थे। गहलोत ने वित्तीय वर्ष 2012-13 का बजट प्रस्तुत करते हुए लेखानुदान का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया था।
गहलोत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2012-13 में तीन माह के खर्चे के लिए 116 हजार 442 करोड़ 88 लाख रुपये से अधिक की राशि लेखानुदान द्वारा प्राप्त भी की थी।
वसुंधरा राजे भी सरकार में रहते हुए पेश कर चुकी है लेखानुदान
वसुंधरा राजे भी सरकार में रहते हुए पेश कर चुकी है लेखानुदान
साल 2014-15 में सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ( Vasundhara Raje ) ने अंतरिम बजट (लेखानुदान मांग) पेश किया था। राजे ने इस लेखानुदान में 46,989 करोड़ रुपए की योजना पेश की थी। राजे ने इस बजट में बड़ा फैसला लेते हुए गरीब और अशक्त परिवारों के लिए फिर से भामाशाह योजना का प्रस्ताव रखा था।