इनमें कुछ दवाइयों और थैरेपी की कीमत हजारों रूपए और एक लाख रूपए तक भी हैं। ऐसी दवाइयां और थैरेपी का उपचार लंबा चलने पर अभी तक गरीब और मध्यमवर्ग के मरीजों के लिए भी मुश्किल रहता था। वहीं गुर्दा रोग में मल्टी बीमारियों का उपचार चलता है, जिनमे ब्लड प्रेशर, यूरोलोजी व अन्य बीमारियों की दवाइयां भी चलती है। इनमे कई दवाइयां पहले से निशुल्क हैं। लेकिन अब नई घोषणा से ट्रांसप्लांट के दौरान और उसके बाद चलने वाली सशुल्क श्रेणी की दवाइयों के भी निशुल्क होने की आस बढ़ गई है। दरअसल, सशुल्क श्रेणी में चल रही दवाओं में अधिकांश दवाएं पिछले पांच सालों के दौरान नई जुड़ी दवाइयां हैं।
गुर्दा रोग विशेषज्ञों के अनुसार किडनी की खराबी सामान्यतया पहले से चल रही कई बीमारियों के कारण होती है। ऐसे में उन बीमारियों की दवाइयां भी इनमे पहले से चलती है। वहीं सांस रोग में पिछले पांच सालों में करीब 20 दवाइयां नई आ चुकी हैं। जिनकी कीमत 20 रूपए से लेकर 2 हजार रूपए तक है।
एकाधिकार वाली दवाइयां अभी थी महंगी और सशुल्क सूत्रों के अनुसार कैंसर की दवाइयों में कुछ दवाइयां ऐसी भी हैं, जिन पर कुछ ही कंपनियों का एकाधिकार है। एकाधिकार वाली अधिकांश दवाइयां निशुल्क श्रेणी से बाहर थीं। नई घोषणा से अब इन कंपनियों को भी झटका लगेगा और एकाधिकार वाली महंगी दवा और थैरेपी मरीजों को निशुल्क मिलने की संभावना रहेगी। एकाधिकार वाली दवाओं और थैरेपी की कीमत 30-40 हजार रूपए से एक लाख रूपए तक है।